8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम का हुआ समापन
8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम (4 से 12 जून, 2025) का हुआ समापन*


8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम (4 से 12 जून, 2025) का हुआ समापन*


8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम (4 से 12 जून, 2025) का हुआ समापन*


8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम (4 से 12 जून, 2025) का हुआ समापन*


8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम (4 से 12 जून, 2025) का हुआ समापन*


8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम (4 से 12 जून, 2025) का हुआ समापन*


8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम (4 से 12 जून, 2025) का हुआ समापन*


गोरखपुर, 12 जून (हि.स.)। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के तत्वावधान में मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति प्रो पूनम टंडन की प्रेरणा से शिक्षकों एवं शोधकर्ताओं के लिए आयोजित 8वें एनईपी अभिविन्यास एवं संवेदीकरण कार्यक्रम (4 से 12 जून, 2025) के समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रोफेसर के. एन. सिंह, कुलपति, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार सहित सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत प्रोफेसर चंद्रशेखर, निदेशक, मालवीय मिशन टीचिंग सेंटर द्वारा किया गया। उन्होंने प्रोफेसर सिंह की उपलब्धियों, शैक्षणिक नेतृत्व तथा रचनात्मक सोच से सभी को अवगत कराया।

प्रोफेसर के.एन. सिंह ने अपने उद्बोधन में शिक्षा, शोध, नवाचार और राष्ट्र निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने युवाओं को लक्ष्य के प्रति सजग रहने और शिक्षा के माध्यम से समाज सेवा की भावना विकसित करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा की बिना सार्थक उद्देश्य के कोई काम ठीक ढंग से नहीं किया जा सकता। किसी भी कार्य को यदि सफल बनाना है तो उसमें टीम भावना का होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल रोजगार पाने का साधन नहीं बल्कि स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए अपनाई जाने वाली जीवन पद्धति है। उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो शिक्षा, अनुसंधान, और नवाचार की संस्कृति को प्राथमिकता देनी होगी।

ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय, बरेली के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो भोला खान ने अपने उद्बोधन में विकसित भारत की परिकल्पना पर अपने विचार प्रस्तुत किए। कहा कि अनुसंधान और विकास किसी भी देश की आर्थिक प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने विशेष रूप से 'नवाचार' पर बल दिया और समझाया कि नवाचार का अर्थ है - कोई नया तरीका या तकनीक अपनाना जिससे हम अपनी उत्पादन लागत को कम कर सकें और अधिक कुशलता से संसाधनों का उपयोग कर सकें। उन्होंने बताया कि यदि भारत को वास्तव में विकसित राष्ट्र बनाना है तो हमें विशेष रूप से कुछ प्रमुख क्षेत्रों में कार्य करना होगा, जिसमें अंतरिक्ष और रक्षा तकनीक, स्वास्थ्य सेवाएं, जैव प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकी आदि शामिल हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर शांतनु रस्तोगी ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम शिक्षकों के कौशल विकास के लिए आवश्यक हैं। जब तक हम सभी नए विचारों पर काम नहीं करेंगे, नई तकनीकों का विकास नहीं करेंगे, तब तक सतत विकास संभव नहीं है। उन्होंने सफलता के लिए टीम वर्क, समन्वय और सहयोग की भावना के होने पर जोर दिया और अंत में उन्होंने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को हार्दिक बधाई दी।

संयोजक प्रोफेसर अनिल कुमार यादव ने पूरे कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने विभिन्न राज्यों से प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों, विषय विशेषज्ञों तथा उनके द्वारा प्रस्तुत विषयों की पूरी जानकारी दी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों और कार्यक्रम से संबंधित प्रमुख बातों पर प्रकाश डाला। सह संयोजक डॉ. पूर्णिमा मिश्रा एवं डॉ. सुशील कुमार सिंह तथा डॉ मोहम्मद इरफान ने कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग दिया। अंत में डॉ राजू गुप्ता सह निदेशक, एम एम टी टी सी ने अतिथियों और प्रतिभागियों का विशेष रूप से धन्यवाद दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय