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कानपुर, 13 जून (हि.स.)। कोई भी व्यक्ति प्रतिबन्धित अवधि 15 जून से 31 जुलाई तक जलाशय तथा नदियों में शिकार नहीं करेगा। इसके साथ ही 15 जुलाई से 30 सितम्बर की अवधि में जलाशय व नदियों से फ्राई एवं फिंगरलिंग को पकड़ने नष्ट करने या बेचने की कार्यवाही नहीं करेगा। ऐसा करने पर उ०प्र० मत्स्य अधिनियम 1948 की धारा-6 के अन्तर्गत मत्स्य विभाग के अधिकारी तथा पुलिस उप निरीक्षक को बिना वारेन्ट के उक्त कृत करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार होगा। यह बातें शुक्रवार को जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कही।
जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश मत्स्य अधिनियम-1948 में दिये गये प्रावधानों के अन्तर्गत उ०प्र० मत्स्य (विकास एवं नियंत्रण) नियमावली 1954 के क्रम में 15 जून से 30 जुलाई तक की अवधि में मत्स्य फ्राई एवं फिंगरलिंग को पकड़ने, नष्ट करने अथवा बेचने तथा दिनांक 15 जून से 31 जुलाई तक मत्स्य प्रजनन अवधि में मत्स्याखेट/शिकारमाही पर प्रतिबन्ध लगाने तथा विभिन्न जालों से मत्स्य शिकारमाही करने एवं ऐसे समस्त उपकरणों जिसमें शिकारमाही सम्भव हो द्वारा शिकार करने पर तथा परिशिष्ट-ए में जनपदों के प्रतिबन्धित क्षेत्रों में मछली पकड़ने, मछली के बच्चों की निकासी करने पर पूर्ण प्रतिबन्ध है।
उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग के अधिकारियों द्वारा उक्त कृत करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध अधिनियम की धारा-8 के अन्तर्गत एक मुश्त जुर्माना लगाने का अधिकार होगा, कोई भी व्यक्ति अथवा मत्स्य व्यवसायी उक्त अवधि में किसी भी जलाशय, मीनाशय तथा नदियों में या किसी भी भाग में मत्स्य स्पॉन, मत्स्य जीरा, अंगुलिका तथा मत्स्याखेट नहीं करेगा, उपरोक्त आदेश जनपद कानपुर नगर की सम्पूर्ण सीमा के अन्तर्गत उपरोक्त वर्णित समयावधि तक प्रभावी रहेगा। उपर्युक्त आदेश का उल्लघंन, उ०प्र० मत्स्य अधिनियम-1948 की धारा-6 तथा धारा-8 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध होगा।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप