उत्तर प्रदेश में दलित, पिछड़ा व अल्पसंख्यक बेटियों के लिए वरदान बनी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना
-सहालग शुरू होते ही प्रदेश भर में सामूहिक विवाह समारोह का हो रहा आयोजन -योगी सरकार का विकास पर केंद्रित एजेंडा विपक्ष को दिखा रहा आईना -प्रदेश के दलित वर्ग से 2.20 लाख से अधिक बेटियों को मिला योजना का लाभ -पिछड़े वर्ग से 1.30 लाख से अधिक गरीब
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ


-सहालग शुरू होते ही प्रदेश भर में सामूहिक विवाह समारोह का हो रहा आयोजन

-योगी सरकार का विकास पर केंद्रित एजेंडा विपक्ष को दिखा रहा आईना

-प्रदेश के दलित वर्ग से 2.20 लाख से अधिक बेटियों को मिला योजना का लाभ

-पिछड़े वर्ग से 1.30 लाख से अधिक गरीब बेटियों की हो चुकी है शादी

लखनऊ, 14 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना से आर्थिक रूप से कमजोर तबके, खासकर पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। में योगी आदित्यनाथ की पहल पर वर्ष 2017 में शुरू हुई यह योजना आज न केवल गरीब की बेटियों के लिए वरदान साबित हो रही है, बल्कि सामाजिक समरसता और समावेशिता को भी मजबूत कर रही है।

बीते आठ वर्षों में इस योजना के तहत 4 लाख से अधिक गरीब कन्याओं की शादी योगी सरकार की ओर से पूरे रीति-रिवाज और सम्मान के साथ कराई जा चुकी है। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में 57 हजार के लक्ष्य के सापेक्ष अबतक करीब 1.20 से अधिक आवेदन आ चुके हैं, जिसमें करीब 14 हजार से अधिक गरीब कन्याओं की शादी संपन्न कराई जा चुकी हैं। विभागीय अधिकारियों की माने तो आने वाले दिनों में इस संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

वंचित वर्गों को मिल रहा लाभ

इस योजना ने उन राजनीतिक दलों को कठघरे में खड़ा कर दिया है, जो लंबे समय तक पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग की राजनीति के सहारे सत्ता का आनंद लेते रहे, लेकिन उनके लिए ठोस विकास कार्य करने में विफल रहे। विपक्ष की राजनीति को आइना दिखाते हुए, इस योजना ने यह साबित कर दिया है कि केवल वादों से नहीं, बल्कि ठोस कदमों से ही समाज का सशक्तीकरण संभव है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास और समावेशिता को प्राथमिकता देकर यह साबित कर दिया है कि उनकी सरकार सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत पर अडिग है।

कमजोर वर्गों का बदल रहा जीवन

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के आंकड़े यह स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के लिए यह योजना कितनी प्रभावशाली साबित हुई है। अब तक इस योजना का सबसे अधिक लाभ दलित वर्ग ने उठाया है, जिसमें 2.20 लाख से अधिक गरीब परिवारों की बेटियों की शादी कराई गई है। वहीं, पिछड़े वर्ग के 1.30 लाख परिवार और अल्पसंख्यक वर्ग के 40,000 से अधिक परिवार इस योजना के लाभार्थी बने हैं। वहीं सामान्य वर्ग के करीब 16,000 गरीब परिवारों ने अब तक सामूहिक विवाह योजना का लाभ लिया है।

वर्ष 2025-26 में आए

1.20 लाख से अधिक आवेदन

कुल आवेदन- 1.20 लाख से अधिक (अबतक)

कुल अप्रूव आवेदन- 21 हजार से अधिक (अबतक)

रिजेक्ट आवेदन- 18 हजार से अधिक

(अबतक)

कुल शादियां- 14 हजार से अधिक

योजना के प्रभारी उपनिदेशक आर.पी. सिंह ने बताया कि यह न केवल एक सामाजिक सहायता है बल्कि सामूहिक सहयोग, सामुदायिक भावना और महिलाओं के सम्मान को बढ़ाने का प्रयास भी है। यह योजना न केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की बेटियों की शादी का सपना पूरा कर रही है, बल्कि यह उन्हें सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान कर रही है। विवाह समारोह में हर जोड़े को एक लाख रुपये की मदद दी जाती है, जिसमें विवाह से जुड़ी आवश्यक सामग्री, वधू के खाते में नकद धनराशि और आयोजन की व्यवस्था शामिल होती है।

सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने साढ़े आठ वर्षों के कार्यकाल में बार-बार यह दिखाया है कि उनकी प्राथमिकता वंचित वर्गों को सशक्त बनाना है। इस योजना के माध्यम से वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रदेश के सभी वर्ग, विशेषकर पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक, मुख्यधारा से जुड़े और उनके विकास के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। यही वजह है कि इस योजना के लिए योगी सरकार ने अब तक करीब 2,200 लाख रुपये से अधिक की धनराशि खर्च कर चुकी है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में इस मद में 550 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 में अबतक दलित और पिछड़ा वर्ग को मिला सबसे अधिक लाभ

सामान्य वर्ग- 494 (जोड़ा)

अल्पसंख्यक वर्ग- 828 (जोड़ा)

ओबीसी वर्ग- 5500 (जोड़ा)

दलित वर्ग- 6556 (जोड़ा)

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह जाति और धर्म की सीमाओं को पार कर सभी को समान अवसर प्रदान करती है। विवाह समारोह में धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई समुदाय का हो। यह पहल सामाजिक समरसता और भाईचारे का भी संदेश देती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / शिव सिंह