एसएनएस महाविद्यालय में भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
सहरसा, 14 दिसंबर (हि.स.)। राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में एसएनएस आरकेएस महाविद्यालय में भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो डॉ अशोक कुमार सिंह ने की। संगोष्ठी
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सहरसा, 14 दिसंबर (हि.स.)। राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में एसएनएस आरकेएस महाविद्यालय में भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो डॉ अशोक कुमार सिंह ने की। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ विजय कुमार वर्मा, संयोजक डॉ अनिरुद्ध कुमार, डॉ गोपाल कुमार ,डॉ अजय कुमार ओझा, डॉ जवाहर चौरसिया आयोजन सचिव डॉ सुधांशु शेखर, प्रधानाचार्य डॉ अशोक कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का उद्घाटन किया।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रधानाचार्य प्रो डॉ अशोक कुमार सिंह ने छात्र एवं छात्रों को अपने संबोधन में कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। सदियों के उतार-चढ़ाव के बाद यहां का लोकतंत्र विश्व में अनुकरणीय है। विविध जाति, धर्म, संप्रदाय के लोग अपनी चुनौतियों का सामना लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था के माध्यम से करते हैं। भारत की विविध विचारधारा के बीच लोग इस लोकतंत्र के सूत्र से जुड़े रहते हैं।

मुख्य अतिथि डॉ विजय कुमार वर्मा ने अपने विस्तृत उद्बोधन में भारतीय लोकतंत्र एवं पश्चिमी लोकतंत्र की तुलना करते हुए इसकी समकालीन चुनौतियों पर चर्चा की ।उन्होंने महिला मताधिकार की तुलना विभिन्न देशों से करते हुए भारत को इस संबंध में अग्रणी बताया। उन्होंने कहा कि भारत के महान संविधान निर्माताओं ने भारत के सभी लोगों को एक वोट का समान अधिकार दिया था अतः आज की समस्याओं का सामना करने के लिए सब लोग लोकतंत्र के प्रति निष्ठावान बने रहे । हमारी सभी समस्याओं का समाधान लोकतंत्र के माध्यम से ही संभव है।

संयोजक डॉ अनिरुद्ध कुमार ने कहा कि निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है। भारतीय शासन व्यवस्था के सभी अंगों को लोकतंत्र की आत्मा के प्रति प्रतिबद्ध होकर कार्य करना चाहिए। मंच संचालक एवं आयोजन सचिव डॉ सुधांशु शेखर ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि इस संगोष्ठी के माध्यम से युवा वर्ग में लोकतंत्र की समकालीन चुनौतियां, संवैधानिक संस्थाओं की पारदर्शिता, लोकतंत्र पर प्रभाव आदि की चर्चा की जो आज के परिप्रेक्ष्य में बहुत प्रासंगिक है। विद्यार्थियों से आह्वान किया कि अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों के प्रति भी ध्यान रखें और समकालीन चुनौतियों का सामना करने में अपनी महती भूमिका निभाएं। शिक्षित एवं जागरूक समाज अपनी सभी चुनौतियों से निपटने की शक्ति रखता है इसके लिए हमें किसी दूसरे देश के अंधानुकरण की बजाय भारतीय परंपरा अनुसार लोकतंत्र को और अधिक विकसित करना होगा। संगोष्ठी में पीजी प्रथम सेमेस्टर के छात्र एवं छात्राओं मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार