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पूर्वी सिंहभूम, 14 दिसंबर (हि.स.)। न्यू बाराद्वारी स्थित पीपुल्स एकेडमी के कालिदास सभागृह में पाणिनि उत्सव समिति के तत्वावधान में आयोजित प्रथम पाणिनि उत्सव समारोह में वक्ताओं ने महर्षि पाणिनि के बहुआयामी योगदान और वर्तमान युग में उनकी प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने रविवार को कहा कि अब ऐसा प्रतीत होता है कि पूरब और पश्चिम के बीच वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से साम्य स्थापित होने की प्रक्रिया तेज हो रही है। पहले पदार्थ और विचार को लेकर जो टकराव था, वह अब धीरे-धीरे सहमति में बदल रहा है।
सरयू राय ने कहा कि महर्षि पाणिनि के काल से लेकर आज तक समाज में आचार और विचार के स्तर पर बड़े परिवर्तन आए हैं। पाणिनि उत्सव का आयोजन कर हम उनके ज्ञान को न केवल वर्तमान में आत्मसात कर रहे हैं, बल्कि भविष्य में भी उसे विश्व स्तर पर स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी चेताया कि समाज का एक वर्ग हमारी विविधताओं को संघर्ष का हथियार बनाना चाहता है, लेकिन हमें ऐसी प्रवृत्तियों से बचते हुए ज्ञान और समन्वय का मार्ग अपनाना चाहिए।
पाणिनि फाउंडेशन की निदेशक रमा पोपली ने कहा कि हमारी वर्णमाला की जड़ें पाणिनि से जुड़ी हैं। आज की पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच, सृजनशीलता और संतुलित दृष्टिकोण विकसित करना समय की आवश्यकता है। वहीं डॉ. मित्रेश्वर अग्निहोत्री ने पाणिनि को केवल व्याकरणाचार्य तक सीमित न मानते हुए उन्हें महाकवि, इतिहासकार और महान विद्वान बताया। उन्होंने कहा कि पाणिनि के बिना आज संस्कृत और अनेक भाषाओं का अस्तित्व इस रूप में संभव नहीं होता।
बाल मुकुंद चौधरी ने माहेश्वर सूत्रों और अष्टाध्यायी की रचना की कथा का उल्लेख किया, जबकि डॉ. शशि भूषण मिश्र ने संस्कृत की लिपि और उसकी कालजयी परंपरा पर विचार रखे। कार्यक्रम में डॉ. रागिनी भूषण और डॉ. कौस्तुभ सान्याल ने भी अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर रमा पोपली की पुस्तक ‘पाणिनि शिक्षाशास्त्र (पाणिनि पेडागॉजी)’ का विमोचन किया गया। मंच संचालन पाणिनि उत्सव समिति के सचिव चंद्रदीप पांडेय ने किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक