Enter your Email Address to subscribe to our newsletters

बलरामपुर, 11 दिसंबर (हि.स.)। जिले के प्रतापपुर की भाजपा विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के कथित फर्जी जाति प्रमाणपत्र विवाद की बहुचर्चित सुनवाई गुरुवार को जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति के समक्ष संपन्न हुई। इस दौरान समिति के सामने दोनों पक्ष उपस्थित हुए, जहां बचाव पक्ष ने जाति संबंधी साक्ष्यों का प्रस्तुतिकरण के लिए समय मांगा। वहीं शिकायतकर्ता पक्ष ने अपने दस्तावेज समिति को सौंप दिए। समिति ने सभी दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 29 दिसंबर निर्धारित कर दी है।
राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भानु प्रताप सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आवेदक धन सिंह धुर्वे समेत शिकायतकर्ता पक्ष द्वारा उपलब्ध सभी दस्तावेज समिति के समक्ष रख दिए गए। उन्होंने बताया कि बचाव पक्ष ने अपने दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था, जिसके बाद अगली तारीख 29 दिसंबर तय की गई है। इस दिन समिति दोनों पक्षों की उपस्थिति में आगे की कार्रवाई करेगी।
इधर, विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि, शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों के संदर्भ में उन्होंने समिति के सामने अपनी आपत्तियां पूर्व में दर्ज कराई थीं। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता पक्ष ने आज उनका जवाब प्रस्तुत किया, जिसके अध्ययन एवं आगे की सुनवाई हेतु नई तारीख तय की गई है।
उल्लेखनीय है कि, यह मामला तब चर्चा में आया जब बिलासपुर हाई कोर्ट ने विधायक पोर्ते के जाति प्रमाणपत्र की जांच के लिए बलरामपुर कलेक्टर को सत्यापन प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए। शिकायतकर्ताओं ने याचिका में दावा किया है कि विधायक मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मऊ जिले की रहने वाली हैं, जहां गोंड़ समुदाय अनुसूचित जाति वर्ग में सूचीबद्ध है। साथ ही आरोप है कि 2002–03 में वाड्रफनगर एसडीएम द्वारा जारी जाति प्रमाणपत्र पति की जाति के आधार पर दिया गया, जो नियमों के खिलाफ है।
धारा 144 लागू, कलेक्ट्रेट में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
सुनवाई से पहले बुधवार शाम कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी राजेंद्र कटारा ने कलेक्ट्रेट के 500 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दी। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि, पिछली समिति बैठक के बाद उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए किसी भी प्रकार की भीड़, तनाव या उपद्रव की आशंका को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।
जारी आदेश के अनुसार, कलेक्ट्रेट परिसर से 500 मीटर की परिधि में सभा, रैली, जुलूस, धरना–प्रदर्शन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। एक स्थान पर चार से अधिक लोग इकट्ठा नहीं हो सकेंगे।
ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा कर्मियों को छोड़कर कोई भी व्यक्ति अस्त्र–शस्त्र, विस्फोटक या घातक हथियार लेकर नहीं चल सकेगा।सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने वाली किसी भी गतिविधि—तोड़फोड़, पुतला दहन, टायर जलाकर रास्ता अवरुद्ध करना पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। आदेश का उल्लंघन करने वालों पर धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह प्रतिबंध 11 दिसंबर से अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा। इस बहुचर्चित प्रकरण को लेकर पूरे जिले में प्रशासनिक सतर्कता बढ़ी हुई है, और 29 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय