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रांची, 6 अगस्त (हि.स.)। पूर्व राज्यसभा सांसद डॉक्टर कंवरदीप सिंह ने दिशोम गुरू शिबू सोरेन के निधन पर गहरी संवेदना प्रकट की है। उन्होंने अपनी शोक संवेदना में बुधवार को कहा कि गुरूजी के जीवन दर्शन का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ और उनका आशीर्वाद भी उन्हें मिला।
उन्होंने कहा कि झारखंड से राज्यसभा के सांसद के तौर पर मेरे कार्यकाल के दौरान कई बार गुरुजी से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ और हर बार उनके जीवन दर्शन से कुछ नया सीखने को मिला। गुरुजी से मिलकर सचमुच महसूस हुआ कि उनमें न कोई गुरूर था और न ही किसी के लिए कोई कटुता की भावना थी। सभी के लिए उनके पास प्रेम और आशीर्वाद था। ऐसी आत्माएं सदियों में एक बार जन्म लेती हैं।
पूर्व सांसद ने कहा कि गुरुजी सिर्फ एक नाम ही नहीं, एक युग थे। गुरूजी एक अनुकरणीय नेतृत्व थे जिसने आदिवासी, पिछड़े और दलितों के अधिकार और न्याय के लिए जीवनभर संघर्ष किया। गुरुजी की आत्मा झारखंड की मिट्टी, यहां के जंगल, पहाड़ों में बसती थी। वहीं यहां के आदिवासी और पिछड़ों की आत्मा गुरुजी में बसती थी।
पूर्व सांसद ने कहा कि गुरुजी के आंदोलन ने, न सिर्फ झारखंड के जंगलों और पहाड़ों पर बसने वाले आदिवासियों जीवन को अंधकार से निकाला बल्कि झारखंड के जन, जंगल, पहाड़ और अस्मिता की भी रक्षा की और झारखंड अलग राज्य के निर्माण का सपना साकार किया।
उन्होंने कहा कि वे ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। ईश्वर शोक संतप्त परिवारजनों को भी इस पीड़ा को सहने की शक्ति प्रदान करें। इस दुःख की घड़ी में उनकी पूरी संवेदना और सहानुभूति उनके परिवारजनों के साथ है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak