आप नहीं रहे पर आपकी सीख मेरी आत्मा में गूंज रही : डीआईजी
फाइल फोटो गुरुजी शिबू सोरेन


रांची, 05 अगस्त (हि.स.)। मैं एक पुलिस अधिकारी हूं। सख्ती, अनुशासन और कर्तव्य मेरी वर्दी का हिस्सा है, लेकिन जब किसी ऐसे व्यक्ति से जुड़ने का सौभाग्य मिले, जिनका जीवन ही संघर्ष और सेवा की मिसाल हो, तो वर्दी के नीचे का दिल भी बहुत कुछ सीख जाता है। मेरी पहली मुलाक़ात गुरु जी से दुमका जामा में हुई थी, जहां मैं थाना प्रभारी के पद पर ट्रेनिंग में २००१ में था, उनकी शिक्षा परद बातें आज भी मेरे स्मरण में है। मैं जब रांची में पदस्थ था, तब मुझे दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी को निकट से जानने, सुनने और उनके विचारों को आत्मसात करने का मौका मिला।

डीआईजी नौशाद आलम ने मंगलवार को बताया कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन से उनका शुरू में एक सामान्य औपचारिक संपर्क था, लेकिन समय के साथ वो एक रिश्ता बन गया। एक ऐसा रिश्ता जिसमें एक बुजुर्ग की सीख थी, एक मार्गदर्शक की दृष्टि थी और एक योद्धा की आग भी। गुरुजी केवल एक नेता नहीं थे। वो मेरी आत्मा को छू जाने वाले विचार थे। उनके शब्दों में इतना ताप था कि हर मुलाकात के बाद मैं खुद को नया पाता। वो हमेशा कहते थे, आलम, झारखंड तभी आगे बढ़ेगा जब हम उसके सबसे कमजोर वर्ग को आगे बढ़ाएं। जब अधिकारी जनता की आवाज़ से जुड़ेगा, तभी व्यवस्था जिंदा कहलाएगी।

आलम ने बताया कि मैंने गुरुजी से सीखा कि एक अधिकारी का धर्म क्या है। ये सिर्फ कागजों पर आदेश देना नहीं है- ये है पीड़ित की आंखों में झांककर उसकी पीड़ा को समझना और फिर उस पीड़ा से लड़ना। आज जब मैं किसी गरीब को देखता हूं, किसी आदिवासी भाई/दबे कुचले लोगों को संघर्ष करते देखता हूं, किसी जरूरतमंद की मदद करता हूं। तब मैं भीतर से महसूस करता हूं कि ये सब मुझे गुरुजी ने सिखाया है। उनकी बातें मेरे जीवन का मंत्र बन चुकी हैं।

उन्होंने मुझसे कहा था कि 'शिक्षा सबसे बड़ा अस्त्र है, इसे पकड़ो और नकारात्मकता से जितनी दूरी रख सकते हो, रखो क्योंकि झारखंड की तरक्की की राह सकारात्मक सोच से ही निकलेगी। आज जब वो हमारे बीच नहीं हैं, तो दिल भारी हो उठता है, लेकिन उनका दिया हुआ हर शब्द, हर निर्देश, आज भी मेरे भीतर जलता हुआ दीपक है। उन्होंने मेरे सोचने का तरीका ही नहीं, जीने का मकसद भी बदल दिया। आप नहीं रहे दिशोम गुरु, लेकिन मैं वादा करता हूं। आपका हर विचार, हर मार्गदर्शन मेरी हर भूमिका में जीवित रहेगा। मैं जहां भी जाऊं, आपकी बातें मेरे साथ होंगी और मैं लोगों को यही सिखाऊंगा। 'अपना नहीं, समाज का विकास सोचो। विकास तब ही पूरा होता है, जब आखिरी व्यक्ति मुस्कुराए।' शत-शत नमन।

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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे