पर्यावरण जागरूकता अब वैकल्पिक नहीं बल्कि एक आवश्यकता है-मुख्यमंत्री
पर्यावरण जागरूकता अब वैकल्पिक नहीं बल्कि एक आवश्यकता है-मुख्यमंत्री


जम्मू 04 अगस्त (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के आर्थिक भविष्य को आकार देने में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज चट्ठा स्थित बाबा जित्तो ऑडिटोरियम में विश्वविद्यालय के 9वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।

स्नातक छात्रों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और संबद्ध क्षेत्र “संभावनाओं के साथ-साथ ज़िम्मेदारी के क्षेत्र“ हैं और उन्होंने जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और उभरते वैश्विक मानकों के मद्देनजर इनकी बढ़ती जटिलता को स्वीकार किया।

उन्होंने कहा कि खंडित भूमि जोत, घटते जल संसाधन और रसायन-आधारित उर्वरकों का अनियंत्रित उपयोग ऐसे मुद्दे हैं जिनमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है और स्थायी एवं जैविक प्रथाओं की ओर निर्णायक बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने खाद्य श्रृंखला में सूक्ष्म प्लास्टिक और जलवायु परिवर्तन के प्रति बढ़ती चिंताओं पर भी ज़ोर दिया और कहा कि पर्यावरण जागरूकता अब वैकल्पिक नहीं बल्कि एक आवश्यकता है।

स्नातक छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने उनसे स्कॉस्ट के आदर्शों को आत्मसात करने और ग्रामीण परिवर्तन के व्यापक मिशन में योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने नए स्नातकों से नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाले बनने का आह्वान करते हुए कहा कि अपने नवाचार से रोज़गार पैदा करें, अपने ज्ञान से उद्यम बनाएँ और अपनी करुणा से कृषि को नई परिभाषा दें।

विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने एक्स सीटू जीन बैंक के शुभारंभ की सराहना की और देशी बीज किस्मों और फसल विविधता के संरक्षण में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ऐसा बुनियादी ढांचा तभी फलदायी होगा जब इसे सही प्रतिभा के साथ जोड़ा जाए। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों से कृषि विज्ञान की उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए इन सुविधाओं का पूरा उपयोग करने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने छात्रों की शैक्षणिक उत्कृष्टता और विकासात्मक आख्यानों में समान भागीदारी की भी सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि स्कॉस्ट-जम्मू के पूर्व छात्र कृषि क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देंगे।

स्कॉस्ट-जम्मू के दीक्षांत समारोह में उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में मुख्य अतिथि के रूप में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जावीद अहमद डार, मुख्य सचिव अटल डुल्लू और प्रमुख सचिव शैलेंद्र कुमार ने विश्वविद्यालय को उसकी रजत जयंती पर बधाई दी और एनईपी-2020, स्टार्टअप इंडिया और विकसित भारत/2047 जैसे राष्ट्रीय ढाँचों के साथ उनके दूरदर्शी समन्वय के लिए उपकुलपति और संकाय की सराहना की।

विश्वविद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए उपकुलपति प्रो. बी.एन. त्रिपाठी ने शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और आउटरीच में स्कॉस्ट-जम्मू की निरंतर उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उत्कृष्टता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता हमारे द्वारा प्राप्त पेटेंट, हमारे द्वारा विकसित किए गए स्टार्टअप और कृषक समुदाय को सशक्त बनाने के लिए हमारे द्वारा हस्तांतरित ज्ञान में परिलक्षित होती है।

दीक्षांत समारोह में 446 डिग्रियाँ प्रदान की गईं जिनमें 157 स्नातकोत्तर, 46 डॉक्टरेट और 243 स्नातक डिग्रियाँ शामिल हैं, साथ ही मेधावी छात्रों को 8 स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए। कृषि-प्रौद्योगिकी और ग्रामीण उद्यमिता में उनके योगदान के लिए कई प्रोफेसरों, नवप्रवर्तकों और उद्यमियों को भी सम्मानित किया गया।

इस समारोह में एक किसान छात्रावास और केपैक्स-नाबार्ड और जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा वित्त पोषित एक अत्याधुनिक संकाय भवन का उद्घाटन भी किया गया जिससे स्कॉस्ट-जम्मू की शैक्षणिक और अनुसंधान उत्कृष्टता क्षमता को बल मिला।

इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी, विश्वविद्यालय परिषद और प्रबंधन बोर्ड के सदस्य, संकाय, छात्र, किसान और आम जनता उपस्थित थी।

हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह