आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक जरूरी
सुरेश हिंदुस्तानी


सुरेश हिंदुस्तानी

आतंकवाद को आश्रय देने वाले देश पाकिस्तान की असलीयत को उजागर करने के लिए भारत ने बड़े रणनीतिक स्तर पर कार्य किया है। एक तरफ जहां पाकिस्तान केवल तीन ऐसे मुस्लिम देशों का समर्थन प्राप्त करने में सफल रहा, जो उसे पहले से ही समर्थन कर रहे थे। वहीं, भारत ने इससे आगे बढ़कर वैश्विक समुदाय के समक्ष पाकिस्तान को आतंकियों को संरक्षण देने वाला देश बताने में कोई संकोच नहीं किया। भारत ने विश्व के तमाम देशों में अपने सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजकर भारत का पक्ष रखकर यह बताने का प्रयास किया है कि आतंकी हमला पाकिस्तान की ओर से किया गया। इसके विपरीत भारत की ओर से केवल जवाबी कार्रवाई ही की गई है, जिसका भारत को पूरा अधिकार है।

भारत के प्रतिनिधिमंडलों की ओर से इस सच को दुनिया को बताने का प्रयास किया जा रहा है कि भारत की ओर से पाकिस्तान पर हमला नहीं किया गया, बल्कि आतंकवाद पर प्रहार किया गया। इसी बात पर भारत को विश्व समुदाय का समर्थन भी मिल रहा है। सबसे कास बात यह है पाकिस्तान में जहां अपनी ही सरकार विपक्ष के निशाने पर है, वहीं भारत सरकार ने अपने प्रतिनिधिमंडलों में सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ ही विपक्ष के कई प्रभावी नेताओं को शामिल किया है। यही नेता विश्व के देशों में भारत का पक्ष मजबूती से रख रहे हैं। इससे स्वाभाविक रूप से विश्व बिरादरी से पाकिस्तान पर अलग-थलग होने का गंभीर खतरा भी उत्पन्न हो गया है।

यह बात सही है कि पाकिस्तान में आश्रय और संरक्षण प्राप्त करने वाले आतंकी आकाओं को आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए वित्त पोषण प्राप्त होता रहा है। इसका आशय स्पष्ट है कि पाकिस्तान आतंक को समाप्त करने के लिए तैयार नहीं है। क्योंकि आतंकवादियों को जब तक वित्त पोषित कया जाता रहेगा, तब तक पाकिस्तान की ओर से आतंक फैलाने वालों पर अंकुश लगाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसलिए आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सबसे पहले उसके वित्त पोषण पर रोक लगाना बहुत जरूरी है। यहां यह कहना बहुत आवश्यक है कि पाकिस्तान गिड़गिड़ाकर समर्थन पाने का प्रयास कर रहा है, वहीं भारत की ओर से पाकिस्तान को अलग-थलग करने का ठोस प्रयास भी किया जा रहा है। जिसमें भारत का बहुत हद तक सफलता भी मिल रही है।

आज के समय में पाकिस्तान इस बात को नकारने का साहस नहीं कर सकता कि उसके देश में आतंकवादी संगठन सक्रिय नहीं हैं। क्योंकि यह तथ्य विश्व के सामने उजागर हो चुका है। आज भी पाकिस्तान में लश्कर ए तैयबा, लश्कर ए ओमर, जैश ए मोहम्मद, हरकतुल मुजाहिद्दीन, सिपाह ए सहाबा, हिजबुल मुजाहिदीन आदि पाकिस्तान में रहकर अपनी आतंकी गतिविधियां चलाते हैं। कई मामलों में आईएसआई से इन्हें सक्रिय प्रशिक्षण एवं अन्य सहयोग भी मिलते हैं। इतना ही नहीं कई बार सेना और सरकार का भी खुला संरक्षण भी इनको मिलता रहा है। पाकिस्तान सरकार की मानें तो उसके यहां 20 से अधिक आतंकी संगठन सक्रिय हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस संख्या को 150 से अधिक तक बताता है। अमेरिकी स्टेट डिमार्टमेंट के मुताबिक यह संख्या 70 से अधिक है।

वैश्विक समुदाय के दबाव में पाकिस्तान कई बार आतंकी समूहों के विरोध में कार्रवाई करने की बात करता है, लेकिन वहीं दूसरी ओर सेना और राज्य सरकारों की ओर से आतंकी संगठनों को खाद पानी प्राप्त होता रहता है। इससे पता चलता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद की जड़ें बहुत ही गहरी हैं। विश्व बिरादरी को पाकिस्तान की वास्तविकता बताने के लिए भारत की ओर से ठोस रणनीति बनाकर कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है, जहां पाकिस्तान सरकार को अपने ही देश के विपक्षी दलों के कोप का सामना करना पड़ रहा है, वहीं भारत सरकार के साथ विपक्ष के सांसदों ने पाकिस्तान की पोल खोलने के लिए सामूहिक वैश्विक अभियान चलाया है। इससे पाकिस्तान को यह डर सता रहा है कि कहीं पाकिस्तान एक बार फिर से ग्रे सूची में ना आ जाए। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि पाकिस्तान की तसवीर यही चित्र प्रदर्शित कर रही है।

आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान में अब इतना साहस नहीं है कि वह विश्व के आर्थिक प्रतिबंधों को झेल सके। इसमें पाकिस्तान में आतंरिक विरोधाभास आग में घी डालने का कार्य कर रहा है। ब्लूचिस्तान में पाकिस्तान से अलग होने के लिए चल रहे आंदोलन में और तेजी आई है। इतना ही नहीं बीएलए ने तो कई कदम आगे बढ़कर अपने आपको स्वतंत्र देश घोषित कर दिया है। ब्लूचिस्तान का यह कदम पाकिस्तान को बहुत कमजोर करने वाला है। पाकिस्तान के बारे में यह आम धारणा निर्मित हो चुकी है कि वह आतंकवाद को बढ़ावा देता है। इसके अलावा यहां पर आतंकवादी संगठनों को वित्त पोषित भी किया जाता है। विश्व के कई देश आतंकवाद को समाप्त करने के लिए आवाज उठा रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब तक आतंकवाद को वित्त पोषित किया जाता रहेगा, तब तक उसे समाप्त करना कठिन है। इसलिए सबसे पहले आतंकवादी संगठनों के वित्त पोषण पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद