प्राकृतिक खेती से पर्यावरण प्रदूषण बचाने के लिए किसानों को किया जागरूक
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते अधिकारी व किसान


फतेहपुर, 13 जून (हि.स.)। जिले में शुक्रवार को गंगा समिति के तत्वावधान में एक दिवसीय प्राकृतिक खेती पर कार्यशाला का आयोजन विकास भवन सभागार में अपर जिलाधिकारी डा० अविनाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुआ। उन्होंने कृषकों से कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक खेती के साथ-साथ पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के उपायों को कृषकों के मध्य अधिक से अधिक प्रसारित करना और नमामि गंगे कार्यक्रम के माध्यम से जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है।

पर्यावरणविद नीरज पाण्डेय द्वारा कृषकों को प्राकृतिक खेती के साथ-साथ गंगा की धारा को अविरल रूप से बिना बाधित किये बहते रहने के लिये सुझाव दिये गये तथा खेती में उर्वरक एवं कीटनाशी का उपयोग न करने की सलाह दी गई, जिससे जल प्रदूषण पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जा सके।

वैज्ञानिक कृषि विज्ञान डा० जगदीश किशोर ने कृषकों को बताया कि जब तक कृषक खेती की प्रकृति एवं प्रवृति नहीं बदलेंगे तब तक हम प्राकृतिक उत्पादों की बात नहीं कर पायेंगे। जनपद में कम जोत के किसान हैं, वे प्राकृतिक खेती के माध्यम से अधिक से अधिक आय अर्जित कर सकते हैं।

वैज्ञानिक डा० चंचल सिंह ने कृषकों से बताया कि प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों के अनुसार खेती करने से मनुष्य के स्वास्थ्य में भी अमूल-चूल परिवर्तन लाया जा सकता है। साथ ही मृदा में ऑरगेनिक कार्बन की मात्रा तथा जल संधारण क्षमता बढ़ाने में भी प्राकृतिक खेती का योगदान लिया जा सकता है। प्राकृतिक खेती कृषि की ऐसी विधा है जिसके माध्यम से कृषकों की आय दोगुना करने के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण, कृषि विपणन आदि कार्यों में भी पारंगत कर कृषकों को प्रगतिशील बनाया जा सकता है।

प्राकृतिक खेती मास्टर ट्रेनर वीरेन्द्र कुमार यादव ने कृषकों को जानकारी दी कि उनके द्वारा 6 एकड़ कृषि फार्म पर एकीकृत खेती के माध्यम से प्राकृतिक खेती का संचालन किया जा रहा है। जिसमें कम से कम लागत पर अत्यधिक उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। जिससे फसल लागत में कमी लाने के साथ ही उपभोक्ता को कम दामों पर प्राकृतिक उत्पादों का लाभ मिल सके। उप कृषि निदेशक सत्येन्द्र सिंह ने मौके पर उपस्थित कृषकों को कीटनाशक दवा एवं उर्वरक का प्रयोग न करते हुये प्राकृतिक खेती करने की सलाह दी।

हिन्दुस्थान समाचार / देवेन्द्र कुमार