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डॉ. मयंक चतुर्वेदी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं । उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 11 सालों में 72 देशों के 151 विदेशी दौरों का हवाला देते हुए बताया है कि वे 10 बार अमेरिका गए, लेकिन इन यात्राओं का कोई फायदा भारत को नहीं मिला। मिस्टर खरगे ने सवाल उठाया, क्या प्रधानमंत्री का काम सिर्फ विदेश जाकर फोटो खिंचवाना है? इतने विदेशी दौरे करने के बाद भी आज भारत दुनिया में अकेला खड़ा है।
ऐसे ही कुछ सवाल लगातार कांग्रेस के अन्य नेता राहुल गांधी, पवन खेड़ा एवं अन्य उठा रहे हैं। राजनीतिक तौर पर सवाल उठाना अच्छी बात है, किंतु कौन सा प्रश्न कब उठाना चाहिए, कम से कम यह तो इन नेताओं का पता ही होगा! क्योंकि राजनीति में इनकी वरिष्ठता को देखकर तो यह उम्मीद की ही जा सकती है। पर यहां क्या हो रहा है? जब देश ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे बड़े ऑपरेशन में रहकर उसके पहले चरण को सफल बनाकर अभी-अभी बाहर निकला है और आप (विपक्ष) हैं कि सत्ताधारी दल को इसलिए घेरना चाहते हैं क्योंकि वह देश की सरकार चला रहा है! यह कैसा आपका तरीका है? जब आपकी सरकार सत्ता में रही, तब आप 2611 जैसे पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों के महा अटैक के विरोध में कुछ नहीं कर पाए!
अवसर तो आपके पास भी था कि उसका ठीक ढंग से बदला लेते। यह आतंकी हमला कितना बड़ा था इसका अंदाजा इसी से लगता है कि साल 2008 की 26 नवंबर की रात एकाएक मुंबई गोलियों की आवाज़ से दहल उठी, जब लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था, जो चार दिन तक चला। मुंबई हमलों में 160 से अधिक लोग मारे गए थे। उन 160 बलिदानियों का तत्कालीन कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने पाकिस्तान से क्या बदला लिया था? इसका उत्तर है, कुछ भी नहीं।
दूसरी तरफ केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की भाजपा सरकार है जिसके रहते हुए जब-जब भी पाकिस्तान ने भारत को आंख दिखाने की कोशिश की या आतंकवाद फैलाया तो सीधा अटैक पाकिस्तानी सेना और वहां के आतंकवादियों पर खुले तौर पर भारत की ओर से हुआ। ऐसे में स्वभाविक है कि देश की जनता वर्तमान मोदी सरकार के समर्थन में दिखाई दे रही है, जिसे विपक्ष स्वीकार करना नहीं चाहता और व्यर्थ के मनगढ़ंत आरोप लगा रहा है।
हकीकत भारत की विदेश नीति की क्या रही है, यह आज दुनिया को पता है। जब ऑपरेशन सिंदूर चल रहा था, तब जिन 57 मुस्लिम देशों की ताकत के नाम पर पाकिस्तान अपना सीना फुला रहा था, उसे सिर्फ तुर्किए और अजरबैजान को छोड़कर किसी का साथ नहीं मिला। उस समय के बयान देखें, चीन तक चुप था, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, अमेरिका इन सभी के प्रमुख राजनेताओं के वक्तव्यों को थोड़ी देर के लिए कांग्रेस के नेता जो आज भारत की विदेश नीति को घेर रहे हैं, वह देख लें, पढ़ लें और उसे समझ लें कि आखिर इन सभी के बयानों में तत्कालीन समय में क्या भाषा बोली जा रही थी। वे सभी भारत के पक्ष में और आतंकवाद के विरोध में हैं कि नहीं ।
कांग्रेस जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा पाकिस्तान को 1.4 अरब डॉलर का कर्ज देने का मुद्दा उठा रही है, तो वह इस मुद्दे को उछालकर किसे मूर्ख बना रही है? यह तो दुनिया के आर्थिक विशेषज्ञ एवं विदेशनीति के जानकार सभी पहले से जानते हैं कि महिनों पहले ही तय हो गया था कि उक्त दिनांक को इस संबंध में बैठक होनी है, और कुल इतनी राशि पाकिस्तान को दी जा रही है। हां, भारत ने विरोध किया और अपना संदेश दे दिया कि इस राशि का उपयोग जोकि विकास के नाम पर मांगी जा रही है कर्ज स्वरूप । वह विकास में ही खर्च होगी। वास्तव में पाकिस्तान ऐसा करेगा, इस पर उसे (भारत को) संदेह है। क्योंकि पाकिस्तान का जो स्वभाव है, उसके अनुरूप वह इस राशि से आतंकवाद को बढ़ावा देगा। कांग्रेस को समझना चाहिए कि यह भारत की आज की विदेश नीति की ही सफलता है कि भले ही पाकिस्तान को उक्त राशि मिली, पर साथ में कई नियम एवं शर्तें भी लगा दी गई हैं।
क्या कांग्रेस को वह शर्तें जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से पाकिस्तान पर लगाई गई हैं, दिखाई नहीं देतीं? कोष ने अपने बेलआउट पैकेज की अगली किस्त जारी करने के लिए पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाई हैं और इसके बाद पाकिस्तान पर कुल शर्तें बढ़कर 50 हो गई हैं। इसके साथ ही कोष की ओर से पाकिस्तान को दो टूक कह दिया गया है कि अगर ये शर्तें पूरी नहीं होती हैं, तो फिर उसे अगली किश्त जारी नहीं हो सकेगी।
इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के खिलाफ पाकिस्तान को रुपया देते ही जो ग्लोबल गुस्सा फूट पड़ा था और दुनियाभर में उसकी किरकरी हो रही थी, वह क्या भारत की सफल विदेश नीति का परिणाम नहीं है? फिर कांग्रेस का यह कहना कि आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के बीच अचानक सीजफायर की घोषणा, भारत की कमजोर विदेश नीति का उदाहरण है। वास्तव में यह कह कर क्या कांग्रेस अपने ही देश पर आज प्रश्न खड़ा नहीं कर रही ? क्योंकि ऐसा कर वह देश की जल, थल, नभ तीनों सेनाओं पर अविश्वास कर रही है । बहुत आपत्तिजनक बात है यह। क्योंकि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह तथा नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी पत्रकार वार्ता द्वारा और स्वयं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देश के नाम अपने संबोधन में स्पष्ट कर दिया गया था कि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान के आतंकी मंसूबों और पहलगाम हमले का परिणाम है, जोकि अभी समाप्त नहीं हुआ है। पाकिस्तान की ओर से कुछ भी गलत किया जाएगा, उसका उचित प्रति उत्तर भारतीय सेनाएं देने के लिए स्वतंत्र हैं।
वस्तुत: सच यही है और जिसे दुनिया ने स्वीकार भी किया है कि पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत सैन्य कार्रवाई करके पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी अड्डों को एयरस्ट्राइक कर तबाह कर दिया। इसके बाद जब पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की तो जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने पाकिस्तान के 11 सैन्य ठिकानों को भी मिट्टी में मिला दिया। भारत ने इतिहास में पहले बार किसी परमाणु देश में 100 किलोमीटर तक अंदर घुसकर प्रहार किया है। वहां परमाणु अड्डे तक पर भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की धमक सुना दी गई है। इसके बाद भी अपनी ही सरकार पर कांग्रेस सवाल उठा रही है?
डिफेन्स क्षेत्र की भारतीय कंपनियों के शेयर अचानक ऊंचे भाव पर पहुंच गए। आकाश मिसाइल बनाने वाली सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के शेयरों में तेजी से उछाल आया है। बीईएल का लाभ 18.4 प्रतिशत बढ़ा। इसी तरह से अन्य डिफेंस क्षेत्र की भारतीय कंपनियां हैं, जिनके ड्रोन एवं अन्य सैन्य सामान, मिसाइल प्रणाली दुश्मन के हवाई हमलों का जवाब देने के लिए प्रयोग में लाई गईं। आज ये सभी भारत की स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गए हैं। क्या यह भी कांग्रेस को दिखाई नहीं देता है? यह क्या ऐसे ही अचानक से हो गया?
राहुल गांधी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सैन्य विमानों के नुकसान की बात कहकर सवाल पूछ रहे हैं! वे इसके लिए सार्वजनिक तौर पर (एक्स) पर अपने ही विदेशमंत्री जयशंकर को घेर रहे हैं। कह रहे हैं, ‘हमने कितने भारतीय विमान खोए? यह चूक नहीं थी। यह अपराध था। और राष्ट्र को सच्चाई जानने का हक है।' इससे पहले कहा कि 'हमारे हमले की शुरुआत में पाकिस्तान को सूचित करना एक अपराध था।’ आश्चर्य यह जानकर होता है कि राहुल गांधी यह सब तब पूछ रहे हैं, जबकि ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायु सेना ने अपने किसी भी विमान के गंवाने की बात नहीं कही है। वहीं, विदेश मंत्रालय भी बता चुका है कि राहुल गांधी का यह बयान 'तथ्यों का सरासर गलत निरूपण' है क्योंकि भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद आरंभिक चरण में पाकिस्तान को चेतावनी दी थी, न कि उससे पहले कोई अपनी कार्रवाई के संबंध में बताया था। पर राहुल समेत उनके नेता पूरी दुनिया को यह बता रहे हैं कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के पहले ही पाकिस्तान को बता दिया था कि वह इस तरह का ऑपरेशन पाकिस्तान में चलाने जा रहा है।
क्या जनता नहीं समझ रही सच क्या है? लेकिन यह कांग्रेस है कि देश हित से भी ऊपर उसे प्रधानमंत्री मोदी का विरोध नजर आ रहा है और वह भारत सरकार के विरोध का नैरेटिव गढ़ने में लगी है। यह जानते हुए कि इस ऑपरेशन के तहत, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के अंदरूनी इलाकों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया था। जिसकी तमाम तस्वीरें भी सार्वजनिक तौर पर आ चुकी हैं । सभी ने देखा, कैसे आतंकवादियों के मरने पर पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों की वहां मौजूदगी है। इसी के साथ विश्व भर के देशों ने भी सामने से अनेक आए वीडियों से समझा कि पाकिस्तान की सेना आतंकवादियों का समर्थन करती है। यह सब कुछ देखने के बाद भी आज कांग्रेस उल्टा सवाल अपनी ही सरकार पर उठा रही है?
कहना यही होगा कि इस (भारत-पाकिस्तान) छोटे अंतराल के युद्ध में दुनिया ने हिन्दुस्तान की ताकत को महसूस किया है, उसे गहराई से समझा है। चीन, तुर्किए एवं अन्य देशों में बनी मिसाइल, ड्रोन्स को हवा में उड़ाते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी एवं सैन्य ताकत को विश्व ने जाना है। यह एक ऐसी ताकत और भारत की धमक है, जिसका कि आज दुनिया ने लोहा माना है। बहुत बुरी तरह से पिटा है भारत के हाथों पाकिस्तान । दूसरी ओर हमारे देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस है, जो आज व्यर्थ की बातें और प्रश्न अपनी ही सरकार से कर रही है, जिनका कोई औचित्य नहीं। बल्कि इन बातों से पाकिस्तान को ही वैश्विक लाभ कूटनीति के स्तर पर होने की अधिक संभावना है। यह वाकई समझ के परे है, आखिर कांग्रेस का यह कैसा अपने देश के शौर्य एवं पराक्रम के प्रति आचरण है?
(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी