असिस्टेंट प्रोफेसर का बर्खास्तगी आदेश सही, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
जयपुर, 15 मार्च (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने एमएनआईटी के असिस्टेंट प्रोफेसर की बर्खास्तगी आदेश को सही मानते हुए इसे चुनौती देते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश डॉ. एसएस स्वैन की याचिका को खारिज करते हुए दिए। अदा
हाईकोर्ट जयपुर


जयपुर, 15 मार्च (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने एमएनआईटी के असिस्टेंट प्रोफेसर की बर्खास्तगी आदेश को सही मानते हुए इसे चुनौती देते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश डॉ. एसएस स्वैन की याचिका को खारिज करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि भर्ती में छूट को लेकर कोई प्रावधान नहीं था। इसके चलते बिना पीएचडी वाले अभ्यर्थियों ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए आवेदन नहीं किया। ऐसे में यदि याचिकाकर्ता को कोई छूट दी गई तो वह समानता के अधिकार के खिलाफ होगी।

याचिका में कहा गया कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती-2022 को लेकर आवेदन मांगे गए थे। जिसमें आवेदन की अंतिम तिथि तक संबंधित विषय में पीएचडी होना जरूरी था। याचिकाकर्ता ने आवेदन किया और उसका साक्षात्कार लेने के बाद उसे 14 फरवरी, 2024 को नियुक्ति दे दी। वहीं बाद में उसे पीएचडी की डिग्री की गलत तिथि बताने को लेकर नोटिस दिया गया। इसके बाद 7 सितंबर, 2024 को उसकी नियुक्ति रद्द कर दी गई। याचिका में कहा गया कि उसने असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए अपने वैज्ञानिक पद से इस्तीफा दिया था और उसे पीएचडी की अनिवार्यता से छूट दी जा सकती है। इसका विरोध करते हुए एमएनआईटी की ओर से एएसजी राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 28 दिसंबर, 2022 को पीएचडी हासिल करना बताया है, जबकि वास्तव में उसे 6 अप्रैल, 2023 को पीएचडी की डिग्री दी गई थी। ऐसे में उसने गलत जानकारी दी थी। इसलिए उसकी नियुक्ति रद्द की गई थी। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक