राजसत्ता से जनसत्ता तक : बिहार विधानसभा इतिहास के लोकनिष्ठ 'राजपुरुष' राजा बहादुर कामाख्या नारायण सिंह
प्रणय विक्रम सिंह बिहार का सियासी तापमान आसमान छू रहा है। भय, भूख और भ्रष्टाचार का पर्याय रहे राजनीतिक दल भी इस समय लोकतंत्र की पाठशाला बने हुए हैं। जाति और जुमलों की जुगलबंदी के जाल में जकड़ा बिहार का ''लोकतंत्र'' आज बड़ी शिद्दत के साथ अपने उस

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