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प्रयागराज, 04 नवम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि किसी सक्षम आपराधिक न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को विदेश यात्रा की अनुमति या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देते समय पासपोर्ट की अवधि तय नहीं की गई है तो पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा सिर्फ एक वर्ष की वैधता वाला पासपोर्ट जारी करना उचित है।
इसी के साथ कोर्ट ने सभी पासपोर्ट कार्यालयों से कहा कि पासपोर्ट जारी करने में अनावश्यक देरी न करें। न्यायमूर्ति अजित कुमार एवं न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश पीलीभीत के रहीमुद्दीन की याचिका पर दिया है।
याची ने सीजेएम पीलीभीत से मिले एनओसी के आधार पर 10 साल की वैधता वाले पासपोर्ट की मांग की थी। पासपोर्ट कार्यालय ने केवल एक वर्ष के लिए पासपोर्ट जारी किया था। हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेश में अवधि का उल्लेख नहीं है तो पासपोर्ट की वैधता एक वर्ष तक सीमित रहेगी, जिसका बाद में कानूनी प्रक्रिया से नवीनीकरण कराया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि याची 10 साल का पासपोर्ट अधिकार स्वरूप नहीं मांग सकता। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पासपोर्ट जारी करने और पुलिस सत्यापन की प्रक्रिया में अनावश्यक देरी नहीं की जानी चाहिए। विदेश मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार नए पासपोर्ट के लिए 30 कार्य दिवस, और पुनः जारी करने के लिए सात कार्य दिवस की समयसीमा तय है।
कोर्ट ने कहा कि देरी व्यक्ति के विदेश यात्रा के अधिकार में बाधा बनती है। हाईकोर्ट ने पासपोर्ट प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए कहा कि आवेदक पहले नोटिस का जवाब दें, लम्बित मामलों में एनओसी प्राप्त करें और पासपोर्ट अधिकारी आवेदन को एक महीने में निपटाएं। कोर्ट ने आदेश की कॉपी प्रदेश के सभी क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे