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देहरादून, 30 नवंबर (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्य़ार्थी परिषद (अभाविप) का 71वां राष्ट्रीय अधिवेशन न सिर्फ आत्मनिर्भर भारत की सुंदर तस्वीर सामने रखता है बल्कि देश को प्रगति के पथ से पृथक करने की कोशिश जैसे गंभीर मुद्दे भी रखें गये। इसके अलावा
तमिलनाडु में हिन्दी का विरोध, कई प्रांतों में कलमधारी और बंदूकधारी माओवाद, बंगाल में रोहिंग्या व बंगलादेशी घुसपैठ और भारत के कई प्रांत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लागू न होने पर चर्चा हुई। राष्ट्र चिंतन का यह महायज्ञ अधिवेशन छात्रों को राष्ट्र उन्नति के पथ पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
अखिल भारती विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए सजे बिरसा मुंडा नगर में प्रवेश करते ही भारत की गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिलती है। नगर में सब कुछ है, भारत की उपलब्धियां, क्रांतिकारी रानी अब्बक्का, भगवान बिरसामुंडा, विवेकानंद के विचार, डॉ हेडगेवार की संगठनात्मक शक्ति, ज्ञान-विज्ञान सब कुछ लेकिन शनिवार शाम को खुला अधिवेशन में कई राष्ट्र की गंभीर चिंता को भी सामने लाया है।
खुला अधिवेशन में विद्रव की एक बेटी ने माओवाद पर चिंता जताई। उनकी चिंता वाकई गंभीर थी। असल में छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र के कई क्षेत्र नक्सल वाद से प्रभावित है। यहां माओवादी और वामपंथी उग्रवाद राष्ट्र के विकास चक्र के पहिए को रोक रहा है। बंदूकधारी और कलमधारी गैंग लगातार भारत की अखंडता, संप्रभुता को छिन्न-भिन्न करना चाहते हैं। ऐसे में भारत सरकार इन राज्योंमें ऑपरेशन कागार के जरिए माओवाद और वामपंथी उग्रवाद का समाप्त कर रही है। ऑपरेशन से अब माओवादी आत्म समर्पण करने को मजबूर हैं। ऑपरेशन कागार का अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में खुला समर्थन किया गया और छात्र कार्यकर्ताओं ने इसे मिटाने का संकल्प भी लिया।
अभाविप के खुला अधिवेशन में तमिलनाडु के प्रति एक गंभीर चिंता सामने आए। तमिलनाडु हिंदी का विरोध कर रहा है और इस आंदोलन को देश की विभाजनकारी ताकतें समर्थन दे रही है। हिन्दी राष्ट्रीय भाषा है और हिन्दुस्तान में हिन्दी का विरोध किसी गंभीर समस्या से कम नहीं है। यहां भाषाई संघर्ष 21वीं सदी में भी जारी है। अभाविप इसे गंभीर समस्या मानती है और इस समस्या के हल को लेकर ठोस पहल की आवश्यकता पर खुला अधिवेशन में जोर दिया गया।
केरल व उसके आस-पास के क्षेत्रों में लव जिहाद तेजी से बढ़ रहा है। यहां हिंदू युवतियों को बहला-फुसला कर लव जिहाद के मामले लगातार बढ़े हैं। अधिवेशन के खुला सत्र में अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री वीरेंद्र सोलंकी ने इस पर गंभीर चिंता जाहिर की।
असल में लव जिहाद के माध्यम से हिंदू युवतियों को मुस्लिम बनाने का षडयंत्र पूरे देश में चल रहा है लेकिन केरल राज्य इसका प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां तक की इस मुद्दे पर केरल में बनी एक फिल्म में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर षडयंत्र के प्रति ध्यान आकृष्ट किया है। धर्म जागरण, हिंदू जागरण व विश्व हिंदू परिषद कई ऐसे मामलों को सामने लाई है। अभाविप इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है और समूचे भारत की छात्राओं का आह्वान करता है कि इसका एकजुट होकर विरोध करें, इस प्रकार की घटनाएं राष्ट्र को कमजोर करती हैं।
अभाविप के खुला अधिवेशन में बंगाल पर चिंता जाहिर की गई। बंगाल में रोहिंग्या और बंगलादेशी घुसपैठ तेजी से बढ़ी है। बंगाल के कार्यकर्ताओं की राष्ट्र को लेकर जाहिर की गई चिंता वास्तव में पूरे देश की चिंता है। पश्चिम बंगाल में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा इसका विरोध कर रही है और विशिष्ट मतदाता पुनरीक्षण में भी यह सामने आया है कि बंगाल से पूरे भारत में लाखों घुसपैंठियों ने भारत में प्रवेश किया है। हाल के दो से तीन महीनों में असम व जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कई बांग्लादेशियों, रोहिंग्याओं और चरमपंथियों को गिरफ्तार भी किया है। बंगाल की जनसांख्यिकी में तेजी से बदलाव के लिए ममता बनर्जी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया।
खुला अधिवेशन की चिंताएं यही समाप्त नहीं होती बल्कि नई शिक्षा नीति 2020 तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में आज भी लागू नहीं हो पाई है। एक देश में दो शिक्षा नीति को लेकर चिंता जाहिर करने के साथ ही छात्रों ने संकल्प लिया कि वे इसके लिए संघर्ष करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल