ठाणे में दिवाली में प्रदूषण 11%ज्यादा ,डॉ प्रशांत ने कहा ध्वनि प्रदूषण 3.2% बढ़ा
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मुंबई,24 अक्टूबर ( हि.स.) । दिवाली के जश्न के बीच, ठाणे शहर में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन चिंताजनक स्तर पर हो रहा है। शहर भर में गाने के कार्यक्रम, लाउडस्पीकर, रात भर चलने वाला ध्वनि प्रदूषण, लगातार आतिशबाजी और पेड़ों पर बिजली की रोशनी ने नागरिकों, बुजुर्गों, बच्चों और मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है।ठाणे के प्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ प्रशांत सिनकर ने बताया कि इस वर्ष दीवाली पर्व पर ठाणे में प्रदूषण 11.1प्रतिशत इजाफा देखने को मिला है।इसी तरह ध्वनि प्रदूषण भी 3.2%बढ़ गया है।उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष ठाणे में वायु प्रदूषण में 7.2%वृद्धि आंकी गई है।दरअसल सन 2023 में वायु गुणवत्ता सूचकांक 62.6 प्रतिशत था।जबकि सब 2024में यह घटकर 33.9प्रतिशत रह गया था। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 11अक्टूबर 2025को हवा में धूल के कणों की मात्रा 143यूजी/एम3जबकि हवा में एन ओ एक्स की मात्रा31 यूजी और सल्फरडाई ऑक्सीडकी मात्रा 13 यूजी थी और तथा वायु गुणवत्ता सूचकांक में 41था।लेकिन लक्ष्मी पूजन 21अक्टूबर 202को ठाणे की हवा में 139 एमजी /एम 3थे।साथ ही एन ओ एक्स मात्रा 30 यूजी/एम 3 और सल्फर डाई ऑक्साइड 17यूजी हो गई थी।इसी तरह ध्वनि स्तर का आंकड़ा पिछले वर्ष 86एल एम् ए एक्स था जो इस वर्तमान साल में 89.2एल एम ए एक्स हो गया है।

बताया जाता है कि ठाणे में सभी प्रकार के प्रदूषण बढ़ने का कारण पिछले कुछ दिनों में, शहर भर की विभिन्न सोसायटियों, दुकानों और सड़कों पर लगे होर्डिंग्स और बैनरों ने शहर की सुंदरता को खतरे में डाल दिया है। कई जगहों पर यह खबर आई है कि पेड़ों पर लगी लाइटों और तारों ने पेड़ों को नुकसान पहुँचाया है। इससे शहर में 'ग्रीन दिवाली' मनाने का उद्देश्य ही खत्म हो रहा है।

पटाखों के कारण बढ़ता वायु प्रदूषण नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन रहा है। धुएँ और धूल का स्तर इतना बढ़ गया है कि ये श्वसन संबंधी समस्याओं, अस्थमा और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। ध्वनि प्रदूषण बुजुर्गों में नींद में खलल, मानसिक तनाव और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहा है।

पर्यावरणविद् डॉ. प्रशांत सिनकर ने मुख्यमंत्री को एक भावुक पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। डॉ. सिनकर ने कहा, ठाणे शहर राज्य का एक पर्यावरण-संवेदनशील और नागरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण केंद्र है। नागरिक पर्यावरण की रक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत हैं, लेकिन अगर प्रशासन इसे लागू नहीं करता है, तो ये प्रयास विफल हो जाते हैं। पेड़ों पर बिजली की रोशनी पूरी तरह से बंद कर दी जानी चाहिए, ध्वनि और वायु प्रदूषण पर सख्ती से नियंत्रण किया जाना चाहिए और 'हरित महोत्सव' गतिविधियों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए।

उन्होंने ठाणे शहर में स्थानीय प्रशासन को और अधिक सशक्त बनाने के लिए अतिरिक्त धन और जनशक्ति उपलब्ध कराने की सिफारिश की है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक त्यौहार के दौरान पर्यावरण-अनुकूल कार्यक्रमों की योजना और नियंत्रण सुनिश्चित करना आवश्यक है।

इस पृष्ठभूमि में, नागरिकों को भी अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी और नियमों का पालन करना होगा, अन्यथा शहर में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हर साल ठाणे की नई 'त्योहार परंपरा' बन जाएगा।

ठाणे के पर्यावरणविद डॉ प्रशांत का कहना है किप्रकृति, वृक्षों और पर्यावरण की सुरक्षा हमारा सामूहिक कर्तव्य है। यदि राज्य सरकार द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक 'हरा-भरा और सुरक्षित ठाणे' बनाना मुश्किल होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा