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काठमांडू, 18 अक्टूबर (हि.स.)। भारत द्वारा नेपाल में बनाए गए पेट्रोलियम पाइपलाइन से नेपाल को हर वर्ष करीब 600 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। यह बचत पेट्रोलियम पदार्थों के परिवहन में होने वाले खर्च से हो रही है।
नेपाल आयल निगम (एनओसी) के अधिकारियों ने पत्रकारों से कहा कि नेपाल-भारत सीमा पार पेट्रोलियम पाइपलाइन ने छह साल का संचालन पूरा कर लिया है, जिससे देश को इसकी ईंधन जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मिल गया है। इन छह सालों में नेपाल को प्रति वर्ष 600 करोड़ की बचत हो रही है।
अमलेखगंज में एनओसी के क्षेत्रीय कार्यालय के अनुसार, अपने उद्घाटन के बाद से भारत के मोतिहारी से नेपाल के अमलेखगंज तक 69.2 किलोमीटर की पाइपलाइन के जरिए कुल 634.92 मिलियन लीटर पेट्रोलियम उत्पादों का परिवहन किया है।
क्षेत्रीय प्रमुख प्रलयंकर आचार्य ने कहा कि इनमें से 614.35 मिलियन लीटर डीजल, 20.15 मिलियन लीटर पेट्रोल और 0.41 मिलियन लीटर केरोसिन था।
पाइपलाइन के जरिए मोतिहारी से अमलेखगंज तक पेट्रोल, डीजल और मिट्टी का तेल आयात होता है। इस परियोजना का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 सितंबर, 2019 को संयुक्त रूप से किया था। उसी दिन पाइपलाइन से डीजल का आयात होने लगा, जबकि 10 अक्टूबर, 2024 को पेट्रोल और 5 दिसंबर, 2024 को केरोसिन का आयात शुरू किया गया।
इस पाइपलाइन के जरिए नेपाल की पेट्रोलियम मांग के लगभग 70 प्रतिशत को पूरा करने में मदद मिल रही है। अमलेखगंज के माध्यम से ले जाया जाने वाला ईंधन काठमांडू, बिराटनगर, भैरहवा, थानकोट, पोखरा, बीरगंज और जनकपुर के डिपो में वितरित किया जाता है, जबकि स्थानीय पंपों की आपूर्ति भी की जाती है। आचार्य ने कहा, नेपाल की पेट्रोलियम खपत का लगभग 70 प्रतिशत अमलेखगंज के माध्यम से आपूर्ति की जाती है।
पाइपलाइन प्रतिदिन 6,000 किलोलीटर पेट्रोलियम उत्पादों का परिवहन कर सकती है, हालांकि अभी तक पूरी क्षमता से संचालन करने की आवश्यकता नहीं पड़ी है।
परियोजना के पहले चरण के तहत पाइपलाइन को मोतिहारी से अमलेखगंज तक बिछाया गया था। दूसरे चरण में अमलेखगंज में भंडारण क्षमता का विस्तार करना और स्वचालन प्रणाली स्थापित करना शामिल था। ईंधन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए दो ट्रांसमिक्स टैंकों और एक अग्नि नियंत्रण प्रणाली के साथ पेट्रोल, डीजल और मिट्टी के तेल को संग्रहीत करने के लिए चार नए ऊर्ध्वाधर भंडारण टैंक बनाए गए थे।
नेपाल में सबसे बड़ा और सबसे आधुनिक अमलेखगंज डिपो में अब 94,000 किलोलीटर की संयुक्त भंडारण क्षमता है, जिसमें 17,500 किलोलीटर पेट्रोल, 27,500 किलोलीटर डीजल और 2,200 किलोलीटर केरोसिन है। 67,724 वर्ग मीटर में फैला डिपो मूल रूप से 1973-74 में भारत सरकार के ही सहयोग से बनाया गया था जिसका परिचालन 1976-77 में किया गया था।
सरकार ने कम से कम तीन महीने की स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए सभी सात प्रांतों में भंडारण क्षमता का विस्तार करने की भी योजना बनाई है, जिसमें एनओसी विभिन्न विस्तार परियोजनाओं को लागू कर रहा है।
आचार्य ने कहा कि पाइपलाइन परिवहन ने सड़क परिवहन की बाधाओं को समाप्त कर दिया है और टैंकर दुर्घटनाओं, ईंधन की चोरी, मिलावट और पर्यावरणीय प्रभावों जैसे जोखिमों को कम कर दिया है। पाइपलाइन परिवहन में बदलाव ने एनओसी को परिवहन लागत में सालाना लगभग 600 करोड़ रुपये की बचत की है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए ईंधन की कीमतें कम हो गई हैं।
इस बीच सरकार ने ग्रीनफील्ड टर्मिनल के साथ सिलीगुड़ी-चारअली और अमलेखगंज-लोथर पाइपलाइन परियोजनाओं को राष्ट्रीय प्राथमिकता दी है। पाइपलाइन 273 किलोलीटर प्रति घंटे की गति से ईंधन का परिवहन करेगी, जिसकी वार्षिक क्षमता 20 मिलियन टन होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास