नृत्य में प्रस्तुत की अवध की संस्कृति
-भारत महोत्सव की सातवीं सांस्कृतिक संध्या लखनऊ, 06 दिसम्बर (हि.स.)। शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्य से सज
नृत्य में प्रस्तुत की अवध की संस्कृति


नृत्य में प्रस्तुत की अवध की संस्कृति


-भारत महोत्सव की सातवीं सांस्कृतिक संध्या

लखनऊ, 06 दिसम्बर (हि.स.)। शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्य से सजी भारत महोत्सव की सातवीं संध्या। इसके अलावा कथक और सूफियाना गायिकी ने भी महोत्सव की शोभा बढ़ाई। सोमवार को महोत्सव के मुख्य अतिथि रमाबाई अम्बेडकर मैदान के प्रबन्धक डॉ. आशीष कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन किया।

सांस्कृतिक संध्या का शुभारम्भ कथक नृत्य से हुआ। जिसमें नृत्यागंना यशस्वी, तेजस्वी, दिव्यांशी, भूमिका, वंशिका, प्रतीक्षा, ख्याति और वैशाली ने कथक में अभिनय पक्ष को दर्शाया। दर्शकों ने तालियां बजाकर इस प्रस्तुति की प्रशंसा की।

इसके बाद शिवम अवस्थी ने ‘शान्ताकारम् भुजगशयनम्... पर नृत्य करते हुए भगवान विष्णु की स्तुति की। अगले सोपान में श्रेया बैनर्जी और प्रीति मिश्रा ने संयुक्त रूप से भरतनाट्यम नृत्य शैली में पुष्पंजलि अर्पित की।

संगीत से सजे कार्यक्रम के अगले प्रसून में ध्रूव शुक्ला के नृत्य निर्देशन मे अनुपम, वैष्णवी, स्वाति, अनन्या, कनिष्का, सृष्टि, नयोनिका, आन्या त्रिपाठी ने नृत्य नाटिका में अवध की रवायत को उजागर किया। स्वर्ण हंस कला मन्दिर के कलाकारों ने वरिष्ठ कलाकार शमशुर रहमान नवेद के नृत्य निर्देशन मे भरतनाट्îम नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

इसके बाद श्रीजाग्या श्रीवास्तव ने गीत ‘हम न मारब नजरिया..., साक्षी श्रीवास्तव ने गोविंदा आला रे..., तेजस्वी पोरवाल ने‘ 52 गज का लहंगा.. और भूमिका ने ‘साकी साकी... पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की तालियां बटोरीं।

कार्यक्रम के अंत में मां दुर्गा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था एवं नवोदय साहित्यिक संस्था की ओर से कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें गीतकार अजय प्रसून, डॉ शोभा दीक्षित, डॉ अर्चना प्रकाश, धर्मवीर सिंह, सरोज आर्य, रूपा पांडे ने काव्य पाठ कर साहित्य की रसधार प्रवाहित की।

हिन्दुस्थान समाचार /शैलेंद्र मिश्रा