वाराणसी के पहले सांसद डॉ रघुनाथ सिंह को तीन बार मंत्री बनने का मिला मौका,ठुकरा दिया पद
—जीत की पहली हैट्रिक लगाने वाले डॉ. रघुनाथ सिंह की 32वीं पुण्यतिथि,सोशल मीडिया में उनके सरल और सहज स
वाराणसी के पहले सांसद डॉ रघुनाथ सिंह की फाइल फोटो


वाराणसी के पहले सांसद डॉ रघुनाथ सिंह की फाइल फोटो


—जीत की पहली हैट्रिक लगाने वाले डॉ. रघुनाथ सिंह की 32वीं पुण्यतिथि,सोशल मीडिया में उनके सरल और सहज स्वभाव की चर्चा कर लोग दे रहे श्रद्धांजलि

वाराणसी,26 अप्रैल (हि.स.)। वाराणसी के पहले निर्वाचित सांसद डॉ.रघुनाथ सिंह की शुक्रवार को पुण्य तिथि है। देश के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से पहली जीत की हैट्रिक लगाने वाले रघुनाथ सिंह वर्ष 1992 में आज के ही दिन इस धरा धाम को छोड़कर गोलोकवासी हो गए। सोशल मीडिया के जरिए लोग वाराणसी के पहले सांसद की सादगी और सरल स्वभाव की चर्चा कर 32वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

लोगों का कहना है कि डॉ. रघुनाथ सिंह ने अपने सांसदी काल में वेतन के नाम पर एक रुपया भी नहीं लिया। रोहनिया थाना क्षेत्र के खेवली भतसार गाँव में एक सम्पन्न भूमिहर परिवार में वर्ष 1910 में डॉ. रघुनाथ सिंह का जन्म हुआ था। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय(बीएचयू) से पहले मास्टर डिग्री एमए किया। इसके बाद एलएलबी की पढ़ाई कर पीएचडी और डी लिट भी किया था। डॉ. रघुनाथ सिंह ने अपने कॅरियर की शुरुआत देश की शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट)में वकालत से की। फिर महात्मा गांधी के सम्पर्क में आने पर देश की आजादी की लड़ाई में भागीदारी की। वर्ष 1926, 1930 और 1942 के आंदोलन में जेल गये। देश के पहले आम चुनाव 1952 में वाराणसी से कांग्रेस ने डॉ रघुनाथ सिंह को सियासी मैदान में उतारा। फिर रघुनाथ सिंह ने लगातार 1952,1957 और 1962 में वाराणसी से जीत दर्ज की ।

सियासी जानकार बताते हैं कि एक जमींदार और कुलीन परिवार में जन्म लेने वाले डॉ. रघुनाथ सिंह ने कभी भी सरकारी गाड़ी का उपयोग नहीं किया। डॉ. रघुनाथ सिंह के घर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू,इंदिरा गांधी,लाल बहादुर शास्त्री,चौधरी चरण सिंह भी आते-जाते थे। वाराणसी के दशाश्वमेध इलाके में रहते थे और शहर में रिक्शे से ही चलते थे। उन्हें ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों की यात्रा करना भी पसंद था। डॉ. रघुनाथ सिंह वर्ष 1968 में एक रुपए वेतन पर ही जिंक लिमिटेड के चेयरमैन बने, तथा 1977 में शिपिंग कॉरपोरेशन के भी चेयरमैन रहे। वहां भी वे केवल एक रुपए वेतन ही लेते थे। उनका मानना था कि, बाकी पैसा देश के विकास में काम आएगा। खास बात यह है कि डॉ रघुनाथ सिंह लगातार तीन बार वाराणसी के सांसद बने, तीनों बार उन्हें मंत्रीपद की पेशकश की गई, परन्तु प्रत्येक बार उन्होंने मंत्रिपद ठुकरा दिया। कांग्रेस के नेता संजय पांडेय 'टीटू गुरू' बताते हैं कि काशी के लाल लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री के काल में डॉ. रघुनाथ सिंह ने मंत्री पद को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि इससे मुझ पर क्षेत्रवाद का आरोप लग जाएगा। आज के नेताओं की बात करें तो वे डॉ रघुनाथ सिंह सिंह के पासंग बराबर भी नहीं हैं। वर्ष 1967 के लोकसभा चुनाव में डॉ. रघुनाथ को कम्युनिस्ट पार्टी माकपा के सत्यनारायण सिंह ने हरा दिया था।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम