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श्रीनगर, 7 सितंबर हि.स.। सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) श्रीनगर के पैरामेडिकल छात्रों ने अधिकारियों द्वारा किए गए अन्याय और लापरवाही पर गहरा रोष व्यक्त किया है। छात्रों को प्रथम वर्ष के लंबित बैकलॉग के कारण बिना किसी पूरक परीक्षा के दूसरे वर्ष की नियमित परीक्षाओं में बैठने से रोक दिया गया है।
छात्रों ने कहा कि परीक्षा शुरू होने से ठीक दो दिन पहले उन्हें सूचित किया गया कि उन्हें दूसरे वर्ष के पेपर में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस अचानक फैसले से सैकड़ों उम्मीदवारों में अफरा-तफरी और मानसिक परेशानी पैदा हो गई है।
पीड़ित छात्रों ने कहा कि हमारा पहला पेपर 2 सितंबर को होना था। सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ उठाने के बाद इसे इस आश्वासन के साथ स्थगित कर दिया गया कि मामला जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। लेकिन अब तक कुछ भी ठोस नहीं हुआ है। हर दिन हमें झूठी उम्मीदें दी जाती हैं कि कल समस्या का समाधान हो जाएगा।
उन्होंने आगे बताया कि उनका अगला पेपर सोमवार को है फिर भी अनिश्चितता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि यह देरी हमारे करियर और मानसिक स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। हमें बिना किसी गलती के सज़ा दी जा रही है जबकि अधिकारियों ने कभी कोई पूरक परीक्षा आयोजित ही नहीं की।
छात्रों ने जीएमसी श्रीनगर और कश्मीर विश्वविद्यालय दोनों पर कुप्रबंधन, लापरवाही और असंवेदनशीलता का सीधा आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शिक्षा हमारा अधिकार है। प्रशासनिक विफलताओं के कारण अधिकारी छात्रों को परेशान कर रहे हैं। यह क्रूरता से कम नहीं है।
उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उच्च शिक्षा अधिकारियों से तुरंत हस्तक्षेप करने और न्याय सुनिश्चित करने की अपील की ताकि उनका शैक्षणिक भविष्य खतरे में न पड़े।
हिन्दुस्थान समाचार / राधा पंडिता