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श्रीनगर, 4 सितंबर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर सरकार ने बाढ़ के बाद पेयजल के संभावित प्रदूषण के कारण जल जनित बीमारियों के फैलने की संभावना को कम करने के लिए 15 दिनों का अभियान शुरू करने का आदेश दिया है।
इस संबंध में आदेश सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव पीयूष सिंगला द्वारा जारी किया गया है।
जारी आदेश के अनुसार 4 सितंबर, 2025 से 15 दिनों की अवधि के लिए जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में गहन जल गुणवत्ता परीक्षण और सुरक्षित पेयजल के सेवन की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करने सहित जल जनित बीमारियों के खिलाफ निवारक उपाय करने के लिए एक निरंतर और संगठित अभियान चलाया जाएगा।
सरकार ने 15-दिवसीय अभियान चलाने के लिए विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया भी जारी की है। आदेश के अनुसार संबंधित उपायुक्तों को जिला स्तर पर अभियान के समन्वय, निगरानी और कार्यान्वयन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
आदेश के अनुसार जिला विकास आयुक्त जो जिला जल जीवन मिशन के अध्यक्ष भी हैं को जिला स्तर पर बैठकें शुरू करने और जिला स्तर पर विभिन्न विभागों को संगठित करने का दायित्व सौंपा गया है। आदेश के अनुसार उपायुक्त जिला स्तर पर अभियान का समन्वय और निगरानी करेंगे।
जल शक्ति विभाग को क्षेत्र स्तर के कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी के साथ प्रयोगशालाओं के माध्यम से जल गुणवत्ता परीक्षण सुनिश्चित करने और बाढ़ के दौरान पेयजल के सुरक्षित उपभोग और भंडारण के लिए किए जाने वाले उपायों और सावधानियों के बारे में मोबाइल वैन के माध्यम से घोषणाएँ करने का कार्य सौंपा गया है।
मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को जल जनित रोगों की सूचना जल शक्ति विभाग के साथ साझा करने का कार्य सौंपा गया है ताकि उचित जाँच और आवश्यक सुधारात्मक उपाय किए जा सकें। जीएडी के आदेश में कहा गया है कि विभाग सुरक्षित जल उपभोग और निवारक स्वास्थ्य देखभाल के लिए जागरूकता पैदा करेगा और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देगा।
ग्रामीण विकास विभाग (आरडीडी) को गाँवों में विशेष रूप से पारंपरिक जल स्रोतों, जल आपूर्ति परिसंपत्तियों और योजनाओं के स्रोतों पर विशेष स्वच्छता अभियान चलाने के लिए कहा गया है। इसमें कहा गया है कि विभाग लोगों को सामान्य जल निकासी प्रक्रियाओं और उचित स्वच्छता एवं सफाई बनाए रखने के महत्व के बारे में शिक्षित करेगा।
विद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला कर्मचारियों के माध्यम से कॉलेजों और स्कूलों में जल गुणवत्ता परीक्षण के प्रदर्शन आयोजित करने और छात्रों को सामान्य जल निकासी प्रक्रियाओं और उचित स्वच्छता एवं सफाई बनाए रखने के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए कहा गया है। इसमें कहा गया है कि कॉलेजों और स्कूलों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाए जाने चाहिए।
समाज कल्याण विभाग को आस-पास की प्रयोगशालाओं में जल गुणवत्ता परीक्षण करने और सामान्य जल निकासी प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के अलावा, आँगनवाड़ी केंद्रों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाने की भूमिका सौंपी गई है। क्षेत्रीय कर्मचारियों को आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों को जल आपूर्ति योजनाओं में आई रुकावटों के बारे में जागरूक करने और पीने योग्य पानी के वैकल्पिक स्रोतों का सुझाव देने के लिए कहा गया है।
आदेश में आगे कहा गया है कि क्लोरीन की गोलियाँ उपलब्ध कराई जाएँगी और लोगों को जल शोधन के अन्य तरीकों के बारे में जागरूक किया जाएगा। उपजिला और जिला प्रयोगशालाओं द्वारा गहन जल परीक्षण किया जाना चाहिए।
जीएडी के आदेश में कहा गया है कि प्रभावित क्षेत्रों में जहाँ से निवासी पेयजल प्राप्त कर रहे हैं, नियमित आपूर्ति बहाल होने तक कम से कम हर तीन दिन में गहन जल परीक्षण किया जाएगा। पुनर्स्थापित जल आपूर्ति योजनाओं के जल नमूनों का परीक्षण निस्पंदन प्रक्रिया से पहले और बाद में किया जाएगा, साथ ही पेयजल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए घरेलू स्तर पर भी किया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / सुमन लता