रांची विवि के जनजातीय भाषा विभाग के करम महोत्सव में झूमे श्रद्धालू
रांची, 3 सितंबर (हि.स.)। रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग और श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में सोमवार को करम पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। करम पूजा डॉ बंदे खलखो, गुरुचरण पूर्ति, राजेश टुडु ने संपन्न कराया। मंच संचालन नागपुरी विभाग के
अखरा में करम पूजा करते श्रद्धालू


रांची, 3 सितंबर (हि.स.)। रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग और श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में सोमवार को करम पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया।

करम पूजा डॉ बंदे खलखो, गुरुचरण पूर्ति, राजेश टुडु ने संपन्न कराया। मंच संचालन नागपुरी विभाग के सहायक प्रो रीझु नायक ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कल्याण मंत्री चमरा लिंडा, कुलपति डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह, विशिष्ट अतिथि कुल सचिव गुरु चरण साहु, प्रॉक्टर डॉ सुदेश कुमार साहु, पूर्व कुल सचिव डॉ मुकुंद चंद्र महेता, पूर्व कुलपति डॉ त्रिवेणीनाथ साहु, पूर्व कुलपति डॉ सत्यनारायण मुंडा, पद्म मधु मंसुरी हसमुख, डीन डॉ अर्चना कुमारी दुबे शामिल हुए।

मुख्य अतिथि मंत्री चमरा लिंडा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि करम पर्व को बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ राज्यों में मनाते हैं। वहीं विदेश नेपाल और बांग्लादेश में करम पर्व का आयोजन हो रहा है। करम पर्व पर पेड़-पौधों को याद किया जाता है।

इस प्रकार के त्योहार को छोड़ देने से प्रलय आ जाएगा।

करम पेड़, तुलसी पौधा मनुष्य को 24 घंटा ऑक्सीजन देता है। दुनिया में सबसे पहले मनुष्य ने जौ फसल को उपजाया है। इसे पवित्र मानकर मनुष्य पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसे पर्व को बचाकर रखना होगा। इसे संजोकर रखना सबकी जिम्मेदारी है। नृत्य गीत संगीत से कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है।

प्रस्तुत किया गया नौ भाषाओं का नृत्य और संगीत

अखड़ा में नागपुरी भाषा ने सभी भाषाओं को एक साथ पिरोने का काम किया। वहीं, मुंडारी भाषा विभाग के विद्यार्थियों ने नगाड़े की धुन बजाई, तो मांदर की थाप कुडुख भाषा के विद्यार्थियों ने गीत नृत्य प्रस्तुत की। वहीं खोरखा भाषा के विद्यार्थियों ने बांसुरी की धुन बजाई और अतिथियों का स्वागत किया। करम अखड़ा विभिन्न फूलों से सजाया गया। इस मौके पर पांच जनजातीय मुंडारी, कुडुख, संथाली, हो और खड़िया भाषा के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। वहीं चार क्षेत्रीय भाषा नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया और कुरमाली भाषा संकाय के सैकड़ों विद्यार्थियों ने अपने-अपने भाषा से नृत्य गीत प्रस्तुत कर करम अखड़ा को सराबोर कर दिया।

इस दौरान सभी भाषा विभाग के अपने-अपने परिधान में मौजूद थे। किसी की लाल पाड़ साडी, तो किसी की पीले रंग की साड़ी, तो कोई हरा और सफेद रंग की साड़ी पहने हुए अखड़ा मंच पर मांदर और नगाड़ा की धुन ने सबको झूमने के लिए विवश कर दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak