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रांची, 2 सितंबर (हि.स.)। करम पूर्व संध्या के अवसर पर कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने चान्हो और रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप दो जगह आयोजित करम पूर्व संध्या समारोह में शामिल हुईं। पारंपरिक करम गीत पर महिलाओं के साथ झूमती नजर आईं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि आदिवासी समाज की पहचान उसकी जमीन और परंपरा से है। यही धरती उनके पुरखों की नाभि से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि जमीन से अलग होना जल बिन मछली के समान है। ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 200 साल पहले रोजगार की तलाश में असम के चाय बागान तक लोग गए, लेकिन आज भी वहां उन्हें अपनी पहचान नहीं मिली है। मंत्री ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में आदिवासी समाज को अपनी जमीन और परंपरा से अलग नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यही जंगल, जमीन, परंपरा और सामूहिक एकजुटता आदिवासी समाज को अलग पहचान देती है। चुनौतियां भले बढ़ी हों, लेकिन अपनी संस्कृति और सामूहिकता के बल पर झारखंड के आदिवासी समाज अपनी पहचान को बनाए रखेंगे।
चान्हो के कार्यक्रम में मुखिया शिव उरांव, महादेव उरांव, एतवा उरांव, मोरहा उरांव, मंगलेश्वर उरांव, जबकि दीक्षांत मंडप रांची में आयोजित समारोह में डॉ हरि उरांव, साधु उरांव सहित अन्य मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar