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श्रीनगर 09 अगस्त (हि.स.)। मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने तहसील स्तर पर ई-ऑफिस 2.0 के कार्यान्वयन की समीक्षा की जिसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर की सभी बुनियादी प्रशासनिक इकाइयों में एक निर्बाध और कागज़ रहित शासन मॉडल स्थापित करना है। इस पहल का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश की 207 तहसीलों तक डिजिटल शासन का विस्तार करना है।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने इन कार्यालयों में विरासत डेटा के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि कागजी फाइलों में संग्रहीत यह डेटा अत्यंत महत्वपूर्ण है इसलिए इन सरकारी कार्यालयों के सुचारू संचालन के लिए इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।
उन्होंने उपायुक्तों को सार्वजनिक मामलों से संबंधित सभी फाइलों की समयबद्ध स्कैनिंग की योजना बनाने के निर्देश दिए ताकि भविष्य में ई-ऑफिस पूरी तरह से लागू होने के बाद आधिकारिक कामकाज में कोई गड़बड़ी न हो।
उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को शेष उपयोगकर्ताओं को ई-ऑफिस से जोड़ने का काम बिना किसी देरी के पूरा करने के लिए कहा ताकि इसे लागू किया जा सके। उन्होंने महत्वपूर्ण सार्वजनिक मामलों से सीधे जुड़े कार्यालयों में प्रभावी और कुशल वितरण के लिए ऐसे उपयोगकर्ताओं के क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण पर ज़ोर दिया।
सूचना प्रौद्योगिकी सचिव डॉ. पीयूष सिंगला ने बैठक में बोलते हुए इस प्रणाली के कई लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे सेवाओं का तेज़ वितरण और त्वरित निर्णय लेने की प्रक्रिया सुनिश्चित होगी जिससे प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी।
इस प्रक्रिया के बारे में सचिव ने बैठक में बताया कि यह चार चरणों में किया जा रहा है। इसकी शुरुआत ईमेल और वीपीएन सुविधाओं को सक्षम करने के लिए कर्मचारी मास्टर डेटा के संग्रह से हुई, जो कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। इसके बाद आधिकारिक ईमेल आईडी का निर्माण और सिस्टम में उपयोगकर्ताओं की मैपिंग की गई, साथ ही दूरस्थ कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए एनआईसीएनईटी/वीपीएन एक्सेस की स्थापना की गई।
समीक्षा के दौरान यह भी पता चला कि इस पहल ने उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है क्योंकि 20,517 उपयोगकर्ताओं को इससे जोड़ा गया है जो लक्ष्य का 95.28 प्रतिषत है और 3,804 कार्यालयों को भी इसमें शामिल किया गया है जो लक्ष्य का 95.94 प्रतिषत है। कुल 20,580 सरकारी ईमेल आईडी बनाए गए हैं और 11,375 वीपीएन कनेक्शन स्थापित किए गए हैं।
इसके अलावा यह भी बताया गया कि हेल्प डेस्क अब सभी 20 जिलों के साथ-साथ नागरिक सचिवालय में भी कार्यरत हैं और विभागाध्यक्षों, उपायुक्तों और विभागीय कर्मचारियों के लिए उनकी क्षमता बढ़ाने और इन जमीनी स्तर के प्रशासनिक कार्यालयों में इसके सुचारू क्रियान्वयन के लिए 220 से अधिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए हैं।
यह बताया गया कि क्रियान्वयन की निगरानी के लिए केंद्र शासित प्रदेश, मंडल और जिला स्तर पर एक बहु-स्तरीय कार्यान्वयन दल का गठन किया गया है। बैठक में बताया गया कि इन टीमों ने समन्वय, तकनीकी सहायता और उपयोगकर्ता ऑनबोर्डिंग सुनिश्चित करने के लिए ज़िम्मेदारियाँ निर्धारित की हैं जिनका प्रशासनिक निरीक्षण केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर आईटी सचिव और ज़िला स्तर पर ज़िला आयुक्तों द्वारा किया जाएगा।
जैसा कि चर्चा की गई कि आगे का रास्ता त्वरित उपयोगकर्ता मानचित्रण के माध्यम से 100 प्रतिषत कवरेज प्राप्त करने, एनआईसीएनईटी पहुँच के बिना कार्यालयों में वीपीएन सुविधाओं का विस्तार करने और जम्मू-कश्मीर में निर्बाध ई-ऑफिस कार्यप्रणाली के लिए ज़िला-विशिष्ट एस्केलेशन प्रोटोकॉल स्थापित करने पर केंद्रित है।
हिन्दुस्थान समाचार / सुमन लता