वाराणसी:गंगा की रौद्र लहरें बाढ़ के उच्चतम बिंदु के निकट पहुंची,प्रभावित क्षेत्र का बढ़ रहा दायरा
प्रभावित क्षेत्र में कमिश्नर


वाराणसी में बाढ़  प्रभावित क्षेत्र में कमिश्नर


कचहरी वरूणा नदी से शास्त्रीघाट का नजारा


— ग्रामीण अंचल में पशुओं के चारे का संकट,शहरी क्षेत्र के प्रभावित इलाकों में लोगों की परेशानी बढ़ी

वाराणसी, 05 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी की रौद्र लहरें खतरे के निशान को पार कर बाढ़ के उच्चतम बिंदु 73.901 मीटर के करीब पहुंच गई हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार मंगलवार सुबह आठ बजे तक गंगा का जलस्तर 72.22 मीटर दर्ज किया गया। जलस्तर कुछ देर स्थिर रहने के बाद फिर आधा सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ने लगा। अपरान्ह दो बजे गंगा का जलस्तर 72.23 मीटर दर्ज किया गया। इसके बाद फिर जलस्तर स्थिर हो गया।

गंगा का पानी लगातार बढ़ने से तटवर्ती इलाकों के मंदिर, सभी 84 घाटों के संपर्क मार्ग और निचले इलाके पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। घाटों पर आमजन के जाने पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। कई मंदिरों के सिर्फ शिखर ही अब दिखाई दे रहे हैं। जलभराव के कारण शहर के अस्सी, दशाश्वमेध, शीतला घाट और सामने घाट जैसे प्रमुख क्षेत्र भी बाढ़ की चपेट में हैं। सामने घाट से बीएचयू ट्रॉमा सेंटर तक की सड़क डूब गई है, जिससे आमजन की आवाजाही ठप हो गई है।

—ग्रामीण अंचल में संकट और गहराया

जिले के ग्रामीण अंचल पिसौर, मरुई, सिहोरवां और जक्खिनी जैसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। इन गांवों में आने-जाने वाले मार्ग पूरी तरह डूब चुके हैं। सैकड़ों हेक्टेयर में फैली खड़ी फसलें पानी में समा चुकी हैं, इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। पशुओं के लिए चारे का संकट ग्रामीणों के सामने नई मुसीबत बन गई है।

—अंतिम संस्कार में भी मुश्किलें

बढ़ते जलस्तर के कारण मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट को छोड़ राजघाट, डोमरी, सरायमोहाना, गढ़वाघाट, सिपहिया घाट और रमना का शवदाह स्थल डूब गया है। मणिकर्णिका घाट की गलियों में सतुआ बाबा आश्रम से ही नावें चल रही हैं और शवों को अंतिम संस्कार के लिए प्लेटफॉर्म तक नाव से ले जाया जा रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर भी अंतिम संस्कार गलियों में किया जा रहा है, जिससे धार्मिक कार्यों में भारी दिक्कतें पेश आ रही हैं। बाढ़ को देख शवदाह के लिए लकड़ी विक्रेता और नाविक भी मनमाने दाम वसूल रहे हैं। हरिश्चंद्र घाट की गलियों में अस्थायी रूप से अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं, जिससे धार्मिक कार्यों में भारी परेशानी हो रही है।

प्रशासन अलर्ट, राहत कार्य जारी

बाढ़ के हालात को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत व बचाव कार्य चलाए जा रहे हैं। रामनगर किला भी पानी की चपेट में आ गया है, वहीं नगवा नाले से पानी संकटमोचन मंदिर तक पहुंच गया है। इससे आसपास के इलाकों में आधा दर्जन से अधिक परिवारों का जीवन प्रभावित हुआ है।

—आने वाले 24 घंटे और चुनौतीपूर्ण

संभावना है कि अगले 24 घंटे में साकेतनगर, रोहितनगर, सरायनंदन, बटुआपुरा और डुमराव बाग कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में भी पानी पहुंच सकता है। ज्ञान प्रवाह नाले के चैनल गेट की निगरानी के लिए सिंचाई विभाग के कर्मचारी तैनात हैं, और कॉलोनियों से पानी निकालने के लिए पंप लगाए गए हैं। कई मार्ग, जैसे पंचक्रोशी-पांडेयपुर और सलारपुर-रघुनाथपुर, बाढ़ के कारण बंद हो चुके हैं।

—बिजली कटी, पेयजल संकट गहराया

सुरक्षा के मद्देनज़र गंगा और वरुणा के तटवर्ती बस्तियों में बिजली आपूर्ति बंद कर दी गई है, जिससे पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं का संकट गहराता जा रहा है। जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने बीते सोमवार को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर हालात का जायजा लिया था और राहत शिविर में जाकर पीड़ितों से मुलाकात कर प्रशासन को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए थे।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी