अब मारवाड़ के किसान सीखेंगे प्राकृतिक खेती के नये तौर तरीके
jodhpur


आईसीएआर की सौगात - राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत कृषि विश्वविद्यालय के मॉडल को मिली स्वीकृति

जोधपुर, 05 अगस्त (हि.स.)। कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर कृषि क्षेत्र में लगातार नवाचार करते हुए अब प्राकृतिक खेती की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करेगा। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर चल रहे राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से प्राकृतिक खेती के लिए कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के मॉडल को स्वीकृति मिली है। इसके तहत विश्वविद्यालय किसानों के लिए प्राकृतिक खेती के मॉडल फार्म की स्थापना करेगा। इन मॉडल फॉर्म से न सिर्फ मारवाड़ के किसान प्राकृतिक खेती के तौर तरीकों से वाकफ़ि होंगे अपितु हानिकारक रसायनिक खाद के उपयोग से बढ़ रही स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निदान में भी यह महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ अरुण कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी की इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए इस मिशन के तहत विश्वविद्यालय के मॉडल को स्वीकृति मिलना किसान व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

चार मॉडल फॉर्म की होगी स्थापना :

इस प्रोजेक्ट के कार्डिनेटर व निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ प्रदीप पगारिया ने बताया कि आईसीएआर के भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मेरठ की ओर से विश्वविद्यालय के मॉडल का चयन किया गया है। इसके तहत एक प्रदर्शन इकाई विश्वविद्यालय में स्थापित की जायेगी व तीन प्रदर्शन इकाइयां विश्वविद्यालय के कार्यक्षेत्र में स्थित प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के खेत में लगाई जाएगी। उन्होंने जानकारी दी कि इन मॉडल फॉर्म में विभिन्न दलहनी, फलदार व अनाजों की खेती होगी। ये प्रदर्शन इकाइयां किसानों के लिए बेहतरीन प्रशिक्षण का काम करेगी।

ये हैं राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन :

राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। जिसका उद्देश्य देशभर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है। यह योजना, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना है।

ये होंगे फ़ायदे :

डॉ पगारिया ने जानकारी दी कि प्राकृतिक खेती के तहत रसायन-मुक्त खेती को बढ़ावा दिया जायेगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि के साथ मानव स्वास्थ्य भी ठीक होगा। इस से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा, व पर्यावरण का भी संरक्षण होगा। प्राकृतिक खेती किसानों को लागत कम करने, जोखिम कम करने, और समान उपज प्राप्त करने में भी मदद करती है। इसके साथ भविष्य की पीढय़िों के लिए भी एक स्वस्थ धरा का निर्माण होगा।

किसानों व कृषि क्षेत्र को मिलेगी दिशा - कुल गुरु डॉ कुमार

कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुल गुरु डॉ अरुण कुमार ने बताया कि सतत और पर्यावरण-अनुकूल कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मिशन के तहत कृषि विश्वविद्यालय के मॉडल को स्वीकृति मिलना बेहद सराहनीय है। यह ऐतिहासिक कदम हमारे किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक नई दिशा तय करेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश