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पूर्णिया, 05 अगस्त (हि.स.)।
बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा घोषित डोमिसाइल नीति का असर अब ज़मीनी स्तर पर दिखने लगा है। पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल में इस घोषणा को लेकर छात्र-छात्राओं में जबरदस्त उत्साह है। लंबे समय से शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि अब उन्हें बाहरी राज्यों की अनावश्यक प्रतिस्पर्धा से राहत मिलेगी और योग्य स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता मिलेगी।
डोमिसाइल नीति के तहत अब केवल बिहार के स्थायी निवासी ही शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। स्थानीय छात्रों का कहना है कि यह नीति न केवल भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगी बल्कि समाज और विद्यालयों की स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार शिक्षकों की बहाली को भी सुनिश्चित करेगी। पूर्णिया के कोचिंग संस्थानों और अध्ययन केंद्रों में छात्रों के बीच इस घोषणा को लेकर सकारात्मक माहौल बना है।
पूर्णिया विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर डॉ प्रभात कुमार सिंह, जो ‘दृष्टि पूर्णिया’ कोचिंग के माध्यम से वर्षों से सिविल सेवा और शिक्षक बहाली की तैयारी करवा रहे हैं, ने इस नीति का स्वागत करते हुए कहा— यह निर्णय बिहार के युवाओं को अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर आगे बढ़ने का अवसर देगा। जब शिक्षक स्थानीय होंगे, तो वे बच्चों की भाषाई, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। इससे शिक्षा का स्तर भी स्वाभाविक रूप से ऊंचा होगा।
डॉ. सिंह का मानना है कि इस नीति से केवल शिक्षा व्यवस्था को ही नहीं, बल्कि राज्य की सामाजिक संरचना और युवा रोजगार को भी मजबूती मिलेगी। छात्रों ने इस कदम को ‘स्थानीय प्रतिभा को सम्मान’ की दिशा में एक बड़ा और सकारात्मक फैसला बताया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नंदकिशोर सिंह