बीटीसी ने शुरू की “बिमा सिबिनाय बिथांखि” कल्याण योजना
बीटीसी ने शुरू की “बिमा सिबिनाय बिथांखि” कल्याण योजना


-शहीदों की माताओं के लिए सम्मान, सुरक्षा और सहायता का संकल्प

कोकराझार (असम), 5 अगस्त (हि.स.)। बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) ने आज एक ऐतिहासिक और मानवीय पहल करते हुए “बिमा सिबिनाय बिथांखि” नामक विशेष कल्याण योजना की घोषणा की। यह योजना बोडोलैंड हैप्पीनेस मिशन के अंतर्गत शुरू की गई है। इसका उद्देश्य बोडोलैंड आंदोलन के दौरान अपने पुत्रों को खो चुकीं माताओं को वित्तीय एवं भावनात्मक सहायता प्रदान करना है।

बोडोलैंड आंदोलन, जो पहचान और स्वशासन की ऐतिहासिक लड़ाई थी, उसमें अनेक लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। लेकिन इन शहीदों की माताएं, जिनमें से अधिकांश अब विधवा, वृद्ध एवं आर्थिक रूप से असहाय हैं, लंबे समय से उपेक्षित रही हैं। उनकी इसी बलिदान और मौन पीड़ा को सम्मान देने हेतु बीटीसी परिषद सरकार ने यह समर्पित कल्याण योजना शुरू की है, ताकि उन्हें गरिमा, सुरक्षा और समाज में समुचित स्थान मिल सके।

इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को वार्षिक 12 हजार रुपये की सहायता राशि आगामी 10 वर्षों तक उनके बैंक खातों में सीधे हस्तांतरित की जाएगी। इसके साथ ही, उन्हें सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं एवं सामाजिक कल्याण योजनाओं में प्राथमिकता के आधार पर शामिल किया जाएगा, जिससे उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल सुनिश्चित की जा सके।

योजना के पारदर्शी क्रियान्वयन हेतु बोडोलैंड हैप्पीनेस मिशन के अंतर्गत एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा जो पात्र लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन करेगा। इसके लिए एक डिजिटल पोर्टल भी विकसित किया जाएगा, जिसमें पंजीकरण, शिकायत निवारण और लाभ वितरण की वास्तविक समय निगरानी की सुविधा होगी। विशेष प्राथमिकता उन माताओं को दी जाएगी जिन्हें अब तक असम सरकार या बीटीसी की ओर से कोई मुआवजा या सहायता नहीं मिली है।

इस योजना की निगरानी के लिए एक मजबूत मूल्यांकन ढांचा तैयार किया जाएगा, जिसमें थर्ड पार्टी ऑडिट, लाभार्थी प्रतिक्रिया प्रणाली और नियमित नीति समीक्षा शामिल होगी, जिससे योजना को प्रभावी और समयानुकूल बनाया जा सके।

इस कल्याणकारी प्रयास के माध्यम से बीटीसी परिषद सरकार शोक को सम्मान में और बलिदान को विरासत में बदलने का संकल्प ले रही है। यह सुनिश्चित करने हेतु कि बोडोलैंड के शहीदों के परिवार भुलाए नहीं जाएं, बल्कि संवेदनशील और समर्पित प्रशासनिक दृष्टिकोण के साथ उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाया जाए।

हिन्दुस्थान समाचार / किशोर मिश्रा