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बाल कल्याण समिति के प्रयास लाए रंग
जोधपुर, 5 अगस्त (हि.स.)। अपने परिवार से करीब एक साल पहले बिछड़े मासूम भाई-बहन को बाल कल्याण समिति के प्रयासों से वापस परिवार का आंचल नसीब हो गया है। हालांकि इस बीच बच्चों के वियोग में उनकी मां ने अपने प्राण त्याग दिए। बच्चों के पुर्नवास में गुजरात के स्थानीय प्रशासन ने रूचि नहीं दिखाते हुए लापरवाही बरती जिससे बच्चों को परिवार से मिलन में एक साल से अधिक का समय लग गया।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष विक्रम चेतन सरगरा ने बताया कि गत वर्ष बारह अप्रेल को जोधपुर रेलवे पुलिस द्वारा लावारिस मिले दो बच्चों को समिति के समक्ष लाया गया। उसमें बालिका ने दिव्या व बालक ने राज नाम बताया था। दोनों भाई-बहन थे और लगभग 5-6 वर्ष के प्रतीत हो रहे थे। दोनों भाई-बहन को राजकीय बालिका एवं शिशु गृह में प्रवेशित करवा गया। दोनों की काउन्सलिंग करने से पता चला कि माता-पिता मजदूरी करते है और धुमा चोकडी के रहने वाले है। समिति ने अपने स्तर पर पता किया तो जानकारी मिली कि धुमा चोकडी वडोदरा गुजरात में है। इस पर वहां की स्थानीय बाल कल्याण समिति व जिला बाल अधिकारिता विभाग से सम्पर्क कर बच्चों की जानकारी उपलब्ध करवाई। साथ ही गृह सत्यापन करवाने के लिए पत्र प्रेषित किया गया। भिजवाई गई जानकारी व पत्र के संबंध में जिला बाल संरक्षण इकाई वडोदरा गुजरात से जवाब प्राप्त हुआ कि बालक-बालिका की पहचान नहीं हो पाई है और वह इस क्षेत्र के नही है। तपश्चात् बालक-बालिका की फोटो सहित जानकारी सोशल मीडिया व सामाचार पत्र में विज्ञापन प्रसारित करवाया गया। इस पर भी कार्यालय को सफलता प्राप्त नहीं हुई।
इस तरह मिला परिवार
बालक-बालिका की निरन्तर काउन्सलिग व बातचीत से एक ही जगह धुमा चोकडी का नाम सामने आ रहा था। तब बाल कल्याण समिति जोधपुर कार्यालय द्वारा आदेश जारी किया गया कि दोनों बच्चों को गृह सत्यापन के लिए कार्यालय जिला बाल संरक्षण इकाई के अधीन कार्यरत आउट रिच वर्कर अर्जुन सिंह गहलोत व पुलिस चालानी गार्ड के साथ वडोदरा गुजरात भिजवाया जाए। इसकी सूचना स्थानीय बाल कल्याण समिति व जिला बाल अधिकारिता विभाग को भी भिजवाई गई। गत 31 जुलाई को दोनों बच्चों को लेकर आउट रिच वर्कर अर्जुन सिंह गहलोत व पुलिस चालानी गार्ड जोधपुर से वडोदरा गुजरात के लिए रवाना हुए। अगले दिन एक अगस्त को सुबह ई-मेल के जरिये कार्यालय बाल कल्याण समिति वडोदरा गुजरात का पत्र प्राप्त हुआ कि उक्त बच्चों का पूर्व में भी घर की तलाश की गई थी, किन्तु तलाशी के दौरान पाया गया कि दोनों बच्चों के परिवार वाले वडोदरा में नही रहते है। हमारी ओर से उचित जांच एवं पुष्टि प्राप्त न हो जाए, तब तक बच्चों को इस जिले मे नही भेजें। उसी दिन दोपहर तक कठिन प्रयासों के साथ आउट रिच वर्कर अर्जुन सिंह गहलोत ने बालक-बालिका के परिवार की खोज कर एक वर्ष से अधिक समय तक घर से बिछड़े भाई-बहन को जन्म भूमि तक पहुंचाकर परिवारजनों से मिलाया। आउट रिच वर्कर द्वारा इस कार्यालय को सूचना देते हुए बताया कि तीन माह पूर्व बच्चों के वियोग में माता का देहांत हो गया। यदि स्थानीय विभाग द्वारा धरातल पर कार्य किया जाता तो आज बच्चों को अपनी माता का आंचल मिल पाता। एक तरफ खुशी है बच्चों को घर पहुंचाने की, दूसरी तरफ उन बच्चों की मां तीन माह पूर्व दुनिया छोडक़र चली गई। यह दर्द बच्चों की जिन्दगी में हमेशा रहेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश