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जम्मू, 4 अगस्त (हि.स.)। अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त कर 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। इसी विषय पर बोलते हुए युवा राजपूत सभा (वाईआरएस) के पूर्व प्रवक्ता और मीडिया संयोजक विशाल सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक ऐतिहासिक रियासत रही है और वर्ष 2019 में इसे दो भागों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। उस समय सरकार ने आतंकवाद और जम्मू के साथ हो रहे भेदभाव को समाप्त करने की बात कही थी और कहा था कि जब समय सही होगा, राज्य का दर्जा फिर से बहाल किया जाएगा। लेकिन अब करीब छह वर्ष बीत चुके हैं और यह वादा अधूरा ही प्रतीत हो रहा है।
विशाल सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि 1947 के बाद से जम्मू के साथ निरंतर भेदभाव हुआ है। विशेष रूप से राज्य सरकारों द्वारा डोगरा समुदाय के अधिकारों से जुड़े कई दस्तावेज और कानून, जिन्हें उनकी बहादुरी और बलिदान के आधार पर बनाया गया था, उन्हें निरस्त कर दिया गया। उन्होंने 2012-13 में तत्कालीन नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस सरकार द्वारा डोगरा सर्टिफिकेट को समाप्त किए जाने को डोगरा समुदाय के साथ खुला अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती राज्य सरकारों ने जम्मू की अपेक्षा कश्मीर क्षेत्र के लिए अधिक कार्य किया और जम्मू के डोगरा समुदाय को लगातार नजरअंदाज किया गया। केंद्र सरकार द्वारा 2019 में यह कहा गया था कि जम्मू के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त किया जाएगा, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
विशाल सिंह ने कहा कि डोगरा सदैव राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ खड़े रहे हैं और उन्होंने देशहित में हमेशा बलिदान दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दे और डोगरा समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हुए डोगरा सर्टिफिकेट को फिर से लागू करे। साथ ही जम्मू को राजनीतिक, आर्थिक और वित्तीय रूप से सशक्त किया जाए, ताकि यहां का युवा राष्ट्र निर्माण में अपना प्रभावशाली योगदान दे सके और गर्व से स्वयं को हिंदुस्तानी डोगरा कह सके।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा