करमा प्रकृति और समाज को जोड़ने वाला पर्व : विजय शंकर नायक
body{font-family:Arial,sans-serif;font-size:10pt;}.cf0{font-family:Nirmala UI,sans-serif;font-size:11pt;}.cf1{font-family:Consolas;font-size:11pt;} रांची, 31 अगस्त (हि.स.)। झारखंड आदिवासी मूलवासी जनाधार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष ने विजय शंकर नायक ने
विनय नायक की फाइल फोटो


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रांची, 31 अगस्त (हि.स.)। झारखंड आदिवासी मूलवासी जनाधार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष ने विजय शंकर नायक ने प्रकृति पर्व करमा की पूर्व संध्या पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी और प्रदेश की युवा पीढ़ी से करमा जैसे पारंपरिक पर्वों से जुड़ने का आह्वान किया।

आदिवासी मूलवासी जनाधार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने रविवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि करमा त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, जो हमें प्रकृति और समाज के गहरे रिश्ते की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि करमा सिर्फ पूजा-अर्चना का पर्व नहीं है, बल्कि यह सामूहिक जीवन, भाईचारा और सहयोग की परंपरा का प्रतीक है। करमा डाली लगाने से लेकर गीत-संगीत और नृत्य तक हर विधि हमें पर्यावरण संरक्षण और सामूहिकता की शिक्षा देती है।

नायक ने कहा कि वर्तमान समय में जब आधुनिकता और बाज़ारवाद हमारी परंपराओं को प्रभावित कर रहा है, तब ज़रूरी है कि नई पीढ़ी करमा जैसे पर्वों से जुड़े। यह पर्व हमें पेड़ों, जंगलों और जल-स्रोतों की रक्षा करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि अगर हमारी संस्कृति बचेगी, तो हमारी पहचान बचेगी। राज्यवासियों से अपील की कि करमा पर्व को उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाएं और समाज में एकजुटता, भाईचारा और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश फैलाएं।

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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar