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खूंटी, 3 अगस्त (हि.स.)। भक्ति और साधना करने से मानव महादेव को प्राप्त कर सकता है। महादेव परम पिता परमेश्वर हैं, इन्हें हम अपने -अपने युक्ति से पाना चाहते हैं। लेकिन सच्चे गुरु का बताया मार्ग शास्त्र सम्मत होता है, और इन मार्ग पर चलकर कितने संत-महात्माओं ने परमात्मा का साक्षात्कार किया। उक्त बातें ऋषिकेश आश्रम के स्वामी गंगाधर महाराज ने मलियादा आश्रम में प्रवचन करते हुए कही। महर्षि में हीं आश्रम मलियादा और शांति पुरी मुरहू में सावन माह में विशेष सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वामी गंगाधर महाराज ने भगवान के 12 रूप में अवतरण की बातें बताई । उन्होंने कहा कि हिरण्याक्ष नामक राक्षस ने पृथ्वी को समुद्र के पानी से डुबो दिया था, इसलिए भगवान विष्णु अवतार लेकर उसका वध किया। भगवान ने पांच विषयों को त्यागने की बात कही है रुप, रस, गंध, स्पर्श और शब्द ये पंच विषय है। उन्होंने कहा कि मृग शब्द के विषय में पड़कर शिकारी के वासुरी में रीझ जाता है, मीन जीभ के स्वाद के लिए कांटें में, भौंरा गंध पाने के लिए कमल में फंस जाता है। पतंग प्रकाश के रुप के लिए जल मरता है। हाथी स्पर्श के विषय में फंस जाता है। संतों के ज्ञान से ही हम विषयों का त्याग कर सकते हैं।
स्वामी लक्ष्मण महाराज ने कहा कि भक्ति के बिना मनुष्य पशु समान होता है। मुरलीधर बाबा, दिगंबर बाबा, गोपाल बाबा ने भी सत्संग और ध्यान-भजन की महिमा बताई।
मौके पर डॉ डीएन तिवारी, संजय सत्संगी, मुचीराय मुंडा,जगमोहन पुर्ती,देवमन फुर्ती, सुरेश पंडित, सुबोध कुमार, रामहरि साव ,हरि मुंडा सूरजमल प्रसाद सहित अन्य उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल मिश्रा