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सुकमा, 3 अगस्त (हि.स.)। जिले के कारीगुंडम गांव में रविवार काे एक सर्पदंश पीड़ित महिला की झाड़-फूंक के कारण जान चली गई।
मिली जानकारी के अनुसार, घटना बीती रात करीब 1 बजे जब गांव की 48 वर्षीय महिला मड़कम भीमे को उसके घर में सोते समय जहरीले करैत सांप ने काट लिया। लेकिन परिजन उसे अस्पताल ले जाने के बजाय अंधविश्वास में पड़ गए। महिला की हालत बिगड़ती रही लेकिन परिजन और गांव के लोग झाड़-फूंक कराने वाले ओझा को बुला लाए पूरी रात ओझा ने झाड़ू करवाया, मंतर फूंका गया, पर महिला की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। रात भर झाड़-फूंक चलती रही और बहुमूल्य समय यूं ही नष्ट होता रहा ।
रविवार सुबह करीब छह बजे जब महिला की हालत बेहद नाजुक हो गई, तब परिजनों ने उसे निजी वाहन से दोरनापाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल में डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया इसके बाद महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए सुकमा जिला अस्पताल भेजा गया।
चिकित्सकों का कहना है कि, अगर पीड़िता को समय रहते अस्पताल लाया गया होता, तो उसकी जान बच सकती थी, सांप के काटने की स्थिति में हर मिनट कीमती होता है, और एंटी-वेनम इंजेक्शन से जान बचाई जा सकती है । मगर ग्रामीण अंधविश्वासों और झाड़-फूंक में समय गंवा देते हैं।
इस घटना ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास आज भी जान का दुश्मन बना हुआ है । स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन कई बार जागरूकता अभियान चलाता है, लेकिन जमीन पर असर अभी भी बेहद सीमित है। अब जरूरत है कि समाज जागे और चिकित्सा को प्राथमिकता दे।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे