हड़ताल की तो बार पदाधिकारियों को पद से हाथ धोना पड़ेगा
इलाहाबाद हाईकाेर्ट


-वकीलों की हड़ताल पर सख्त चेतावनी-बलिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को दी माफी

प्रयागराज, 03 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वकीलों की हड़ताल को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा कि हड़ताल से बाज नहीं आए तो अधिवक्ता संघों के अध्यक्ष व मंत्री सहित सभी पदाधिकारियों को पद से हाथ धोना पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि वकीलों को न्यायिक कार्य से विरत रहकर न्याय के मंदिर में ताला लगाने का कोई अधिकार नहीं है।

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने बलिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को बिना शर्त माफी देते हुए की है। बलिया निवासी अजय कुमार सिंह ने चकबंदी अधिनियम से जुड़े विवाद का मुकदमा किया है लेकिन बलिया बार एसोसिएशन के न्यायिक कार्य से विरत रहने के प्रस्ताव के कारण उनके मुकदमे में सुनवाई नहीं हो पा रही है। याची ने मुकदमे के शीघ्र निस्तारण के लिए यह याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान पता चला कि याची की आपत्तियां अधीनस्थ राजस्व न्यायालय ने 22 जनवरी को निस्तारित कर दी हैं। याचिका निष्प्रभावी हो गई, लेकिन कोर्ट ने बार एसोसिएशन के न्यायिक कार्य से विरत रहने के प्रस्ताव को गम्भीरता से लिया।

साथ ही कैप्टन हरीश उप्पल व अन्य मामलों में वकीलों की हड़ताल को अवैध ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बलिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और मंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी कर तलब किया था। कोर्ट में उपस्थित बलिया बार के अध्यक्ष राजेश कुमार ने बिना शर्त माफी मांग ली। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए उन्हें माफ कर दिया। साथ ही कहा कि माफी का मतलब छूट नहीं है। इस बार छोड़ रहे हैं, अगली बार कड़ी कार्रवाई होगी। बार एसोसिएशन की हड़ताल उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के आदेश की स्पष्ट अवमानना है। अधिवक्ता संघ न सुधरे तो अब पदाधिकारियों को पदमुक्त करने की कार्रवाई की जाएगी।

कोर्ट ने आदेश की कॉपी बलिया के डीएम, चकबंदी अधिकारी, प्रदेश के सभी राजस्व अदालतों, चकबंदी न्यायालयों व सम्बंधित बार पदाधिकारियों को भेजने का आदेश दिया है। साथ ही राजस्व न्यायालयों को निर्देश दिया कि बार एसोसिएशन के न्यायिक कार्य से विरत रहने के प्रस्ताव को नजरअंदाज कर न्यायिक कार्यवाही को आगे बढ़ाएं।

हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे