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जगदलपुर, 3 अगस्त (हि.स.)। बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले से चार मरीज जापानी बुखार (जापानी एन्सेफलाइटिस) पाॅजीटिव मिले हैं। रविवार काे मिली जानकारी के अनुसार अभी तक दंतेवाड़ा से 3 और बीजापुर जिले के मिरतुर क्षेत्र से एक बच्चा जापानी एन्सेफलाइटिस पाॅजीटिव मिला है, यह सभी जगदलपुर मेडिकल कालेज में भर्ती किए गए हैं, जहां उनका उपचार जारी है। जिले में मलेरिया के साथ-साथ जापानी बुखार के मरीज मिलने से विभाग की परेशानी बढ़ा दी है, अभी तक 4 बच्चों में दंतेवाड़ा जिले के प्रताप उम्र 8 वर्ष डोंगरीपारा, संजय उम्र 8 वर्ष कुआकोंडा गोंगपाल, सागर उम्र 3 वर्ष कटेकल्याण के भुसारास एवं बीजापुर मिरतुर के लखन में जापानी बुखार मिला है।
विदित हाे कि जापानी बुखार (जापानी एन्सेफलाइटिस) की जांच की सुविधा बस्तर संभाग के जगदलपुर में ही उपलब्ध है। जापानी एन्सेफलाइटिसजांच के लिए, डॉक्टर रक्त परीक्षण या रीढ़ की हड्डी के तरल पदार्थ का नमूना लेते हैं। इन नमूनों में विशिष्ट एंटीबॉडी की पहचान की जाती है, जो जापानी इन्सेफलाइटिस वायरस के संक्रमण का संकेत देते हैं। किट की जांच को डॉक्टर प्रभावी नहीं मानते इसलिए जांच के लिए जगदलपुर ब्लड के नमूनों को भेजा जाता है । सैंपल की जांच के लिए आमतौर पर रियल टाइम पीसीआर मशीन का उपयोग किया जाता है।
क्या है जापानी बुखार (जापानी एन्सेफलाइटिस)
वर्ष 1871 में जापान में इस वायरस की पहचान हुई थी, जिस कारण इसका नाम 'जैपनीज इन्सेफ्लाइटिस' पड़ा। जापानी बुखार दरअसल एक दिमागी बुखार है, जो फ्लैविवायरस के संक्रमण से फैलता है, यह वायरस दरअसल सुअर और जंगली पक्षियों में पाया जाता है, जो इंसानों में मच्छरों के जरिए फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर साल दुनिया में 68 हजार जापानी बुखार के मामले सामने आते हैं। दक्षिण-पूर्वी एशिया और वेस्टर्न पैसेफिक इलाके में करीब 24 देश ऐसे हैं, जहां इस बीमारी का ज्यादा प्रभाव है, इसके चलते करीब तीन अरब लोगों पर खतरा मंडरा रहा है। जापानी बुखार से सावधानी ही इसका सबसे बड़ा उपाय है। इसके लक्षण दिखते ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, इसके अलावा टीकाकरण, मच्छरों से बचाव, घर के आस-पास पानी जमा नही होने देने आदि से इससे बचा जा सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे