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बरेली, 3 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में जोगी नवादा की तंग गलियों में रविवार को सौहार्द और भाईचारे की नई इबारत लिखी गई। दो साल पहले कांवड़ यात्रा को लेकर जिस मोहल्ले में तनाव और गोलियां चली थीं, उसी जगह इस बार मुस्लिम महिलाओं ने कांवड़ियों पर फूल बरसाकर न सिर्फ उनका स्वागत किया, बल्कि समाज को एकता और अमन का संदेश भी दिया।
बारादरी थाना क्षेत्र स्थित जोगी नवादा में सावन की अंतिम कांवड़ यात्रा में नजारा बदला-बदला दिखा। महंत राकेश कश्यप के नेतृत्व में निकले कांवड़ियों के जत्थे का मुस्लिम समाज ने दिल खोलकर स्वागत किया। रास्ते भर टेंट लगाकर फल, शरबत और पानी बांटा गया। शाहनूरी मस्जिद, कब्रिस्तान तिराहा और अन्य मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से यात्रा शांति से गुजरी।
करीब डेढ़ हजार श्रद्धालुओं की मौजूदगी में निकली यात्रा मौर्य गली से शुरू होकर बनखंडी नाथ मंदिर तक पहुंची। रास्ते भर मुस्लिम समाज के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक ने स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी। महिलाओं ने घरों की छतों से फूल बरसाए।
महंत राकेश कश्यप ने कहा कि “यह यात्रा अब सिर्फ धार्मिक नहीं रही, बल्कि सामाजिक सौहार्द की प्रतीक बन चुकी है। जिस तरह मुस्लिम समाज ने आगे आकर स्वागत किया, उससे स्पष्ट है कि जोगी नवादा अब नफरत नहीं, मोहब्बत का गवाह बन रहा है।”
यात्रा के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। स्थानीय पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। प्रशासन ने इसे कानून-व्यवस्था और सामाजिक समरसता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत बताया।
गौरतलब है कि दो साल पहले इसी कांवड़ यात्रा को लेकर विवाद हुआ था। परंपरागत रूट को लेकर टकराव बढ़ा और फायरिंग जैसी घटनाएं सामने आईं थीं। नतीजतन, यात्रा रोकनी पड़ी थी और जोगी नवादा सुर्खियों में आ गया था। मगर इस बार माहौल पूरी तरह बदला हुआ नजर आया।
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हिन्दुस्थान समाचार / देश दीपक गंगवार