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जम्मू,, 3 अगस्त (हि.स.)। लगातार खराब मौसम और यात्रा मार्गों की खतरनाक स्थिति के चलते रविवार को अमरनाथ यात्रा को समय से पहले स्थगित कर दिया गया। यह यात्रा रक्षाबंधन, 9 अगस्त को संपन्न होनी थी, लेकिन निर्धारित समापन से लगभग एक सप्ताह पहले ही इसे रोकने का निर्णय लिया गया।
तीन दिन पहले भारी बारिश के कारण यात्रा को अस्थायी रूप से रोका गया था। शनिवार को अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बालटाल और पहलगाम—दोनों पारंपरिक मार्गों—की स्थिति तीर्थयात्रियों के लिए असुरक्षित है और इनकी तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है। इस स्थिति में यात्रा को दोबारा शुरू करना संभव नहीं है।
कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी ने कहा कि हालिया बारिश ने क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है और लगातार गिरते भूभाग के कारण रास्ते खतरनाक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मरम्मत के लिए मशीनरी और कर्मचारियों की तैनाती जरूरी है, लेकिन इन हालात में यात्रा और मरम्मत दोनों को एकसाथ जारी रखना संभव नहीं है।
चार लाख श्रद्धालु कर चुके दर्शन
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अनुसार, यात्रा के समय से पहले स्थगित होने के बावजूद इस वर्ष लगभग चार लाख श्रद्धालु पवित्र गुफा के दर्शन कर चुके हैं। हालांकि, पिछले सप्ताह के भीतर तीर्थयात्रियों की संख्या में गिरावट देखी गई, जिसे मौसम से जोड़कर देखा जा रहा है।
सुरक्षा रही अभूतपूर्व
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सरकार ने इस वर्ष सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे। मौजूदा बलों के अलावा 600 से अधिक अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई थीं, जिससे यह यात्रा देश की सबसे सुरक्षित धार्मिक यात्राओं में से एक बन गई।
तीर्थयात्रियों को जम्मू से बालटाल और पहलगाम के आधार शिविरों तक कड़े सुरक्षा काफिलों के जरिए ले जाया गया। श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर नागरिक आवाजाही भी काफिले के समय रोक दी जाती थी।
संस्कृति का प्रतीक रही है अमरनाथ यात्रा
1850 के दशक में एक मुस्लिम चरवाहे बोटा मलिक द्वारा खोजी गई अमरनाथ गुफा कश्मीर की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक मानी जाती रही है। स्थानीय निवासियों के अनुसार अब केवल वही लोग यात्रा से जुड़े रह गए हैं जो सीधे तौर पर इससे रोज़गार पाते हैं, जैसे टट्टू संचालक, पालकी वाले और सेवक।
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हिन्दुस्थान समाचार / अश्वनी गुप्ता