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जम्मू, 28 अगस्त (हि.स.)। जम्मू और कश्मीर के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि जब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और उसके सहयोगी दलों का राजनीतिक नियंत्रण रहा है तो इसका परिणाम लगातार भाई-भतीजावाद, अक्षमता, भ्रष्टाचार और नागरिकों की चिंताओं की उपेक्षा से ग्रस्त शासन व्यवस्था के रूप में सामने आया है। दुर्भाग्य से, वर्तमान सरकार भी इसका अपवाद नहीं है। यह बात पूर्व एमएलसी और भाजपा प्रवक्ता गिरधारी लाल रैना ने कही।
जीएल रैना ने कहा कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने मतदाताओं से किए गए वादों को पूरा करने के बजाय हाल के वर्षों में हासिल की गई प्रगति को मजबूत करने और उस पर आगे बढ़ने के बजाय, आख्यानों का राजनीतिकरण करना चुना है। यह गलत प्राथमिकता ऐसे समय में सबसे ज़्यादा स्पष्ट है जब प्राकृतिक आपदाओं - बादल फटने और अन्य आपदाओं - ने कई लोगों की जान ले ली है और बुनियादी ढाँचे और निजी संपत्ति को व्यापक नुकसान पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि ऐसे नाजुक मोड़ पर सरकार अपनी ऊर्जा हस्ताक्षर अभियानों और राजनीतिक नौटंकी पर बर्बाद कर रही है, जो लोगों की पीड़ा के प्रति उसकी असंवेदनशीलता को दर्शाता है।
यह कोई अकेला मामला नहीं है। नेशनल कॉन्फ्रेंस का लोकतांत्रिक ढांचे के आदर्श लेकिन अवास्तविक विकल्प का हवाला देकर जवाबदेही से बचने का एक लंबा इतिहास रहा है जिससे शासन में उनकी बार-बार की विफलताओं से ध्यान भटकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की राजनीतिक चालबाजी कुशल प्रशासन और सेवा वितरण की सीधी कीमत पर होती है।
पूर्व विधान पार्षद ने ज़ोर देकर कहा कि जवाबदेही सिर्फ़ शिकायत दर्ज करने तक सीमित नहीं है। प्रभारी मंत्री समेत सभी विभागों को जनता को बताना होगा कि नुकसान कितना हुआ है—कितने फ़र्ज़ी लाभार्थियों ने वैध दावेदारों के हक़ छीने हैं, और कितना सरकारी पैसा बर्बाद हुआ है। अंततः ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री की है। उनके कार्यकाल में ऐसी चूकें कोई छिटपुट घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि विभागों में कुप्रबंधन के एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा हैं। चुप रहना कोई विकल्प नहीं है; जम्मू-कश्मीर के लोग जवाब और जवाबदेही के हक़दार हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता