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रांची, 27 अगस्त (हि.स.)। पूर्व राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर 14 अक्टूबर 2010 की अधिसूचना संख्या 235 के कार्यान्वयन से संबंधित अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रणाली में आरटीजीएस और एनईएफटी लेन-देन मुख्य रूप से केवल खाता संख्या पर आधारित होते हैं। प्राप्तकर्ता का नाम मिलान प्रक्रिया में प्राथमिकता नहीं पाता। इससे कभी-कभी खाता संख्या गलत होने या मेल खा जाने की स्थिति में त्रुटि या धोखाधड़ी की संभावना बनी रहती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में डिजिटल लेन-देन की गति और संख्या दोनों बढ़ी है। ऐसे में यह आवश्यक है कि आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली पूरी तरह सुरक्षित और त्रुटिहीन हो। केवल खाता संख्या के आधार पर भुगतान करना जोखिमपूर्ण है।
धोखाधड़ी और गलत भुगतान से बचा जा सकता है
उन्होंने पत्र में कहा है कि यदि प्राप्तकर्ता के नाम और खाता संख्या का मिलान सुनिश्चित किया जाए तो धोखाधड़ी और गलत भुगतान जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।
मेरा मानना है कि छोटे-छोटे तकनीकी सुधारों से ग्राहकों का विश्वास और वित्तीय व्यवस्था की पारदर्शिता दोनों बढ़ेंगी।
उन्होंने यह सुझाया कि हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन में लाभार्थी का नाम और खाता संख्या दोनों का सत्यापन सुनिश्चित किया जाए, बैंकों में लाभार्थी विवरणों की प्रविष्टि और सत्यापन के लिए मजबूत सिस्टम लागू हो, प्राप्तकर्ता के नाम और खाता संख्या का तकनीकी रूप से मिलान करने की व्यवस्था बने ताकि गलत भुगतान या विवाद की स्थिति से बचा जा सके।
उन्होंने कहा कि अधिसूचना की समीक्षा कर ऐसे समायोजन किया जाना चाहिए जिससे लेन-देन की सुरक्षा और ग्राहक संतुष्टि दोनों सुनिश्चित हो सकें।
पोददार के पत्र पर वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार डॉ अभिजीत फुकन ने उत्तर देते हुए सूचित किया है कि यह मामला आरबीआई के समक्ष उठाया गया है। मंत्रालय ने पोद्दार के सुझावों को भुगतान प्रणाली को और अधिक सुरक्षित और कुशल बनाने की दिशा में सराहनीय बताया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak