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पुंछ, 25 अगस्त (हि.स.)। हर मानसून के मौसम में प्रशासन लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए सलाह जारी करता है लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या होगा जब सरकारी तंत्र ही बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में अवैध निर्माण में शामिल हो।
पुंछ जिले में बाढ़ क्षेत्रों और रेड ज़ोन में कई इमारतें बनाई गई हैं जिनमें सरकारी स्वामित्व वाली इमारतें भी शामिल हैं। वार्ड नंबर 1 में सामुदायिक केंद्र और अन्य सरकारी सुविधाओं का निर्माण जल निकायों और नालों के बेहद करीब किया गया है। साथ ही प्रभावशाली व्यक्तियों ने इन प्रतिबंधित क्षेत्रों में निजी घर बनाने के लिए भारी रकम भी खर्च की है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि अनधिकृत निर्माणों के कारण कई प्राकृतिक नाले अवरुद्ध हो गए हैं जिससे भारी बारिश के दौरान पानी सीधे आवासीय घरों में घुस जाता है। उनका यह भी दावा है कि यह अतीत में कुछ अधिकारियों की संलिप्तता के कारण ही संभव हुआ है जिनकी भूमिका अब संदिग्ध प्रतीत होती है।
लोगों ने पूर्व उपायुक्तों या अन्य अधिकारियों की पहचान के लिए एक उच्च-स्तरीय जाँच, यहाँ तक कि सीबीआई जाँच की भी माँग की है, जिन्होंने एसके ब्रिज और अन्य जल निकायों के पास इस तरह के खुलेआम उल्लंघन की अनुमति दी।
निवासी पुंछ के वर्तमान उपायुक्त से इस मामले को गंभीरता से लेने और नदियों, नालों और बाढ़-क्षेत्रों के पास किसी भी अन्य निर्माण पर रोक लगाने के लिए सख्त आदेश जारी करने का आग्रह कर रहे हैं। वे यह भी चाहते हैं कि मौजूदा अवैध ढाँचों को नीति के अनुसार ध्वस्त कर दिया जाए।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जब तक अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, स्थिति जस की तस बनी रहेगी। हर मानसून के साथ, खतरे की घंटी फिर से बजेगी, जिससे पुंछ न केवल प्रकृति, बल्कि लापरवाही और मिलीभगत से भी बाढ़ और आपदाओं के प्रति संवेदनशील हो जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता