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रांची, 25 अगस्त (हि.स.)। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण जैसे अक्सर अनदेखी विषय को केंद्र में लाते हुए यूनिसेफ झारखंड ने विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय के सहयोग से विधानसभा में सोमवार को संवाद का आयोजन किया।
संवाद का विषय था बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देना, नीति-निर्माता क्या कर सकते हैं।
मानसून सत्र के दौरान आयोजित इस बैठक में करीब 40 विधायकों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ रबींद्र नाथ महतो ने कहा कि हमारे बच्चों के संघर्ष, जो अक्सर मुस्कान या चुप्पी के पीछे छिप जाते हैं, हमारे ध्यान और निर्णायक कार्रवाई की मांग करते हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसा वातावरण बनाएं, जहां हर बच्चा देखा, सुना और समर्थित महसूस करे। उन्होंने स्कूलों में काउंसलरों की उपलब्धता और समाज से भ्रांतियां दूर करने पर जोर दिया।
यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ. कनीनिका मित्रा ने बताया कि बच्चे पढ़ाई के दबाव, सामाजिक-आर्थिक कठिनाइयों और हिंसा जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रांतियां इन समस्याओं को और बढ़ा देती हैं, जिससे बच्चे अकेलापन और असहायता महसूस करते हैं।
संचार एवं साझेदारी विशेषज्ञ आस्था अलांग ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य बाल विकास का मूल आधार है, लेकिन यह अभी भी लाखों बच्चों के लिए एक छिपी हुई चुनौती है। वहीं, बाल संरक्षण विशेषज्ञ प्रीति श्रीवास्तव और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ वनेश माथुर ने राज्य की चुनौतियों और समाधान पर प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का संचालन शिवानी (संचार कंसल्टेंट, यूनिसेफ) ने किया।
बैठक में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी, जेएलकेएम के अध्यक्ष जयराम महतो, मंत्री इरफान अंसारी सहित अन्य विधायक मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar