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रामगढ़, 25 अगस्त (हि.स.)। अज़रबैजान जेल से निकाल कर जिस व्यक्ति को एटीएस की टीम रामगढ़ कोर्ट लेकर के आई है, वह खुद को मयंक सिंह होने से इनकार कर रहा है। अब सबसे बड़ा सवाल एटीएस की जांच पर खड़ा हो गया है, कि आखिर वह कितने मयंक सिंह पैदा करेगी। शनिवार को जब कोर्ट में अज़रबैजान से ले गए कैदी को पेश किया गया था, तब एटीएस ने उसे मयंक सिंह उर्फ सुनील कुमार उर्फ सुनील कुमार मीणा बताया था। सोमवार को सुनील कुमार मीणा की तरफ से हाई कोर्ट के अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने बहस की। उनके साथ कोर्ट में अधिवक्ता निमेष कुमार और विधान चंद्र सिंह भी मौजूद थे। हेमंत सिकरवार ने कोर्ट में दलील दी कि जिस व्यक्ति को पुलिस मयंक सिंह बता रही है, असल में वह सुनील कुमार मीणा है।
आकाश राय को भी पुलिस बता चुकी है मयंक
एसीजेएम संदीप कुमार बर्तम की अदालत में बहस के दौरान अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने कहा कि रामगढ़ जिले के पतरातू भदानीनगर कांड संख्या 175/ 2022 में पुलिस ने मयंक सिंह के खिलाफ चार्जशीट दायर की है, लेकिन रांची जिले के लालपुर थाने में दर्ज कांड संख्या 307/ 23 में भी आकाश राय उर्फ मोनू को मयंक सिंह के नाम पर चार्जशीट दायर किया गया है। सबसे बड़ा सवाल अब यह पैदा होता है कि आखिर कितने मयंक सिंह मौजूद हैं। जो व्यक्ति रामगढ़ जेल में वर्तमान समय में बंद है वह सुनील कुमार मीणा है, ना कि मयंक सिंह। चार्जशीट में किसी भी गवाह और पीड़ित व्यक्ति की ओर से नहीं बताया गया है कि मयंक सिंह ही सुनील कुमार मीणा है। यह कहानी सिर्फ पुलिस पका रही है।
सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को भी किया गया पेश
अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले का हवाला दिया। जिसमें साफ तौर पर यह कहा गया था कि पुलिस जिस मामले में चार्जशीट दायर कर चुकी है, उसमें तब तक दोबारा जांच का आदेश नहीं मिल सकता जब तक पुलिस कोई नए तथ्य पुख्ता सबूत के साथ नहीं रखती। अभी तक पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे कांड संख्या 175/2022 की दोबारा जांच हो सकती है।
अजरबैजान जेल में बंद होने के बावजूद पुलिस दर्ज करती रही थी प्राथमिकी
अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने झारखंड पुलिस की ओर से दर्ज 48 प्राथमिकी पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि सुनील कुमार मीणा बाकू से गिरफ्तार हुआ था और उसे अज़रबैजान जेल में रखा गया था। वह जेल हाई क्लास सिक्योरिटी जोन में है और विश्व के 10 सबसे ज्यादा सुरक्षित जेल में शामिल है। वहां हर तरफ सीसीटीवी कैमरे मौजूद हैं। जब वह जेल में बंद था तब भी मयंक सिंह के नाम से लोगों को फोन आ रहे थे और धमकियां दी जा रही थी। पुलिस उन मामलों में भी प्राथमिकी दर्ज कर रही थी। आखिर वह व्यक्ति कौन था जो मयंक सिंह के नाम से लोगों को धमका रहा था। पुलिस असली व्यक्ति तक अभी तक नहीं पहुंच पाई है।
एटीएस ने कांड के दोबारा अनुसंधान की मांगी अनुमति
एटीएस की तरफ से सरकारी वकील ने बात रखी। उन्होंने कहा कि जिस कांड में मयंक सिंह उर्फ सुनील कुमार मीणा उर्फ सुनील कुमार को अज़रबैजान जेल से वापस लाया गया है, उस कांड का अनुसंधान अभी बाकी है। जिस समय पुलिस अनुसंधान कर रही थी, मयंक सिंह उर्फ सुनील कुमार मीणा उर्फ सुनील कुमार जेल में बंद था। इसलिए न तो बेहतर तरीके से पूछताछ हो पाई और ना ही कई तथ्यों से पर्दा उठ सका। पूरी दलील सुनने के बाद एसीजेएम संदीप कुमार बर्तम की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश