जमात-ए-इस्लामी से संबद्ध स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के बाद अधिकारियों ने किया दौरा
श्रीनगर, 23 अगस्त (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा शनिवार को कश्मीर के 10 ज़िलों में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी से संबद्ध स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के बाद पुलिस के साथ अधिकारियों की टीमों ने उनका दौरा किया। अधिकारियों के अनुसार बिना छात्र
जमात-ए-इस्लामी से संबद्ध स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के बाद अधिकारियों ने किया दौरा


श्रीनगर, 23 अगस्त (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा शनिवार को कश्मीर के 10 ज़िलों में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी से संबद्ध स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के बाद पुलिस के साथ अधिकारियों की टीमों ने उनका दौरा किया।

अधिकारियों के अनुसार बिना छात्रों की शिक्षा में कोई बाधा डाले पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण और सुचारू रूप से संपन्न हुई। स्कूल शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को जेईआई और उसके फलाह-ए-आम ट्रस्ट से संबद्ध 215 स्कूलों, जहां 51 हजार से अधिक छात्र नामांकित हैं, उनको उनके शैक्षणिक भविष्य की रक्षा के लिए अधिग्रहण करने का आदेश दिया था।

शनिवार सुबह ज़िला प्रशासन के अधिकारी, संबंधित नज़दीकी उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य, पुलिस की टीम के साथ इन स्कूलों में पहुंचे। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासनिक टीम ने स्कूलों का कार्यभार संभाला, उनके दस्तावेज़ों और बुनियादी ढांचे की जांच की और कर्मचारियों से बातचीत भी की।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस कदम की वहां के राजनीतिक दलों ने आलोचना की और इसे प्रशासनिक अतिक्रमण बताया।आलोचना करने वाले दलों में मुख्य रूप से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अपनी पार्टी शामिल हैं।

जस्टिस एंड डेवलपमेंट फ्रंट (जेडीएफ) जम्मू-कश्मीर ने सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह नेशनल कॉन्फ्रेंस के विश्वासघात के इतिहास की कष्टप्रद याद दिलाता है। इस फ्रंट का गठन प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के पूर्व सदस्यों ने किया था।

पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ पार्टी अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ जा रही है और भाजपा का एजेंडा लागू कर रही है।

हालांकि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग ज़िले के एक ऐसे ही स्कूल के शिक्षक ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। ज़िले के तचलू इलाके में स्थित हनफ़िया इस्लामिया संस्थान के शिक्षक मोहम्मद इशाक ने कहा कि मुझे लगता है कि यह एक अच्छा कदम है। हमें पहले काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब मुझे लगता है कि सब कुछ सुचारू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में भी ज़िला मजिस्ट्रेट स्कूलों के प्रबंध निकायों का गठन करते थे।

स्कूल की एक छात्रा आलिया इरशाद ने कहा कि इस कदम से छात्रों और कर्मचारियों को फ़ायदा होगा। उन्होंने कहा कि इससे स्कूलों में सुधार होगा। उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करे, क्योंकि वे छात्रों के लिए बहुत मेहनत करते हैं।--------------

हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह