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रांची, 22 अगस्त (हि.स.)। विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन शुक्रवार को दिशोम गुरू शिबू सोरेन, शिक्षा मंत्री रहे रामदास सोरेन सहित देश भर के अन्य दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने सदन में कहा कि चलते मॉनसून सत्र के दौरान हमारे बीच से दिशोम गुरु शिबू सोरेन और स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक सहित कई जाने-माने लोग गुजर गए।
उन्होंोने कहा कि दिशोम गुरु का जाना एक युग का अंत है, लेकिन जो राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना उन्होंने झारखंड को दी है, वह झारखंड के समतामूलक नवनिर्माण को सदा दिशा देता रहेगा। उनकी अनुपस्थिति में उनके विचार हमारा मार्गदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का निधन एक युग का अंत है।
लेकिन उनके साथ खड़ा हुआ महान जन आंदोलन उस जन आंदोलन के विचार और उस जनआंदोलन से उपजे झारखंड बाबा के अमर होने का प्रमाण दे रहा है।
झारखंडी अस्मिता और संस्कृति के सबसे प्रमुख ध्वजवाहक थे गुरूजी
स्पीकर ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन झारखंड व देश के एक बड़े राजनेता ही नहीं बल्कि झारखंडी अस्मिता और संस्कृति के सबसे प्रमुख ध्वजवाहक थे। वर्ष 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के रूप में जिस राजनैतिक संगठन को उन्होंने जन्म दिया और जिस राजनैतिक संगठन ने कालांतर में राज्य सत्ता के माध्यम से झारखंड के निर्माण और विकास का बीड़ा अपने कंधों पर उठाया है, उसकी शुरूआत बहुत पहले एक सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक आंदोलन के रूप में हो चुकी थी।
मैं समझता हूं कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन को केवल एक राजनेता मान लेना, उचित नहीं होगा और इसकी व्यापकता को समझे बिना झारखंड राज्य निर्माण आंदोलन के व्यापक परिपेक्ष्य को समझना असंभव है।
उनका साहचर्य जो मुझे प्राप्त हुआ है, उसमें मैंने यही पाया है कि दिशोमगुरु एकसमग्र, स्वायत, विकासोन्मुखी झारखंड की बात करते थे, जिसकी आधारशिला मूल झारखंडी संस्कृति की बनी है। गुरूजी समावेशी विकास, सह-अस्तित्व और प्रकृति के बहुत बड़े पक्षधर थे।
सहज और सामाजिक व्यक्तित्व के धनी थे रामदास सोरेन
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोल्हान क्षेत्र की राजनीति में विशिष्ट पहचान रखने वाले स्कूली शिक्षा और निबंधन मंत्री रामदास सोरेन सहज, सरल, सौम्य और सामाजिक व्यक्तित्व के धनी थे। झारखंड आंदोलन के एक सच्चे योद्धा के रूप में वे मजदूर और विस्थापितों की आवाज बनकर सदैव अग्रिम पंक्ति में संघर्षरत रहे। इनके असामयिक निधन से झारखंड की राजनीति में एक बड़ी शून्यता आई है, जिसकी भरपाई होनी असंभव है। साथ ही
सदन में भारतीय वायुसेना के वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के नायक ग्रुप कैप्टेन डीके पारूलकर, प्रसिद्ध नाटककार, कवि और गीतकार पद्मश्री विनोद कुमार पसायत, गोवा, बिहार, मेघालय एवं जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे और पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यपाल मलिक और वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह को भी श्रद्धांजलि दी गई। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने से जान गंवाने वालों को भी सदन में श्रद्धांजलि दी गई।
शोक प्रकाश के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही सोमवार की सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / Vinod Pathak