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जम्मू, 18 अगस्त (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर भाजपा वीडीजी प्रकोष्ठ के संयोजक, बसंत राज ठाकुर ने इस चौंकाने वाली और गैरकानूनी घटना की कड़ी निंदा की है जिसमें कुछ पुलिस अधिकारियों ने अपने पद का घोर दुरुपयोग किया अपनी वर्दी का गलत चित्रण किया और कानून का घोर उल्लंघन किया।
घटनाक्रम का विवरण देते हुए ठाकुर ने कहा कि 14 अगस्त 2025 की रात को डोडा जिले के थाथरी तहसील स्थित प्राथमिक विद्यालय पेरनोट के परिसर में कुछ संदिग्ध व्यक्तियों को देखा गया। ग्राम रक्षा समूह (वीडीजी) के एक सतर्क सदस्य, पेरनोट निवासी बलबीर सिंह मन्हास ने अपने पड़ोसियों के साथ तुरंत इस घटना पर ध्यान दिया। अपने गाँव की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी ज़िम्मेदारी के अनुरूप, बलबीर सिंह ने घुसपैठियों से बार-बार पूछताछ की और उनसे अपनी पहचान बताने को कहा। हालाँकि कोई जवाब नहीं मिला।
संभावित खतरे को भांपते हुए बलबीर सिंह ने अन्य वीडीजी सदस्यों को सचेत करने का प्रयास किया। कोई विकल्प न होने और संदिग्ध तत्वों को अपने गाँव को नुकसान पहुँचाने से रोकने के लिए उन्हें हवा में चेतावनी भरी गोली चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह कार्रवाई पूरी तरह से निवारक प्रकृति की थी जिसका उद्देश्य निर्दोष ग्रामीणों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करना था।
हैरानी की बात यह है कि अगली ही सुबह, यानी 15 अगस्त 2025 को पुलिस चौकी प्रेमनगर के अधिकारियों ने बलबीर सिंह को गैरकानूनी रूप से हिरासत में ले लिया। इसके बाद हिरासत में ज्यादती का एक शर्मनाक मामला सामने आया, जहाँ उन्हें डीएसपी ठठरी (प्रोबेशनर) और प्रेमनगर के एक पुलिस अधिकारी द्वारा क्रूर थर्ड-डिग्री टॉर्चर का सामना करना पड़ा। परिणामस्वरूप, बलबीर सिंह को गंभीर चोटें आईं उनके शरीर पर अमानवीय हमले के निशान थे, और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बसंत राज ठाकुर ने मांग की कि डोडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तुरंत मामले का संज्ञान लें और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज करें। उन्होंने माननीय उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जी से अपील की कि वे इस मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करें और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त और अनुकरणीय कार्रवाई सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में कानून की गरिमा और वीडीजी सदस्यों की सुरक्षा भूमिका सुरक्षित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता