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किश्तवाड़, 17 अगस्त हि.स.। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के इस सुदूर गाम। में बादल फटने के बाद लापता लोगों का पता लगाने के लिए रविवार को चौथे दिन भी तलाशी अभियान जारी रहा। बचावकर्मियों को उम्मीद है कि वे दिन के दौरान एक बड़े प्रभावित स्थान को साफ कर लेंगे।
इस बीच सेना के इंजीनियरों ने गाँव और मचैल माता मंदिर के बीच संपर्क बहाल करने और बचाव कार्यों को और तेज करने के लिए एक बेली ब्रिज पर काम शुरू कर दिया है।
मचैल माता मंदिर के रास्ते में पड़ने वाले आखिरी गाँव चिसोती में 14 अगस्त को बादल फटने से 60 लोगों की मौत हो गई और 80 अन्य लापता हो गए जबकि 167 लोगों को घायल अवस्था में बचा लिया गया।
बादल फटने से आई अचानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई एक अस्थायी बाज़ार और यात्रा के लिए एक लंगर स्थल को तहस-नहस कर दिया 16 घरों और सरकारी इमारतों, तीन मंदिरों, चार पनचक्कियों, एक 30 मीटर लंबे पुल के अलावा एक दर्जन से ज़्यादा वाहनों को नुकसान पहुँचा।
कई जगहों पर खासकर सबसे ज़्यादा प्रभावित लंगर स्थल के आसपास बड़े-बड़े पत्थर भी बिखरे पड़े थे और तलाश में बाधा डाल रहे कुछ पत्थरों को शनिवार शाम बचावकर्मियों ने नियंत्रित विस्फोट से गिरा दिया।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों की संयुक्त टीमें बचाव कार्य जारी रखे हुए हैं।
अब तक 50 शवों की पहचान हो चुकी है और कानूनी औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।
सेना की आतंकवाद-रोधी डेल्टा फ़ोर्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल ए पी एस बल ने कहा कि पुल की ज़रूरत महसूस होने के बाद सेना के इंजीनियरों ने इलाके का सर्वेक्षण किया है।
अधिकारी ने कहा कि हमें 17 मीटर लंबे पुल की ज़रूरत है जिसे नदी पार सुचारू आवाजाही के लिए बनाया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि पुल का निर्माण रविवार शाम तक पूरा हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि सेना ने सूचना मिलने के 45 मिनट के भीतर ही आपदा पर प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि हम यहाँ लोगों की वजह से हैं। जैसा कि आप जानते हैं आजकल हमारे देश की नीति समग्र राष्ट्र दृष्टिकोण की है। इसलिए अगर कोई सुरक्षा समस्या है, तो सिर्फ़ भौतिक सुरक्षा ही नहीं बल्कि सभी प्रकार की सुरक्षा प्रदान की जानी है समग्र राष्ट्र दृष्टिकोण का पालन किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि तैनात सभी सुरक्षा बल ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जान बचाने के अलावा हमने उन्हें दवा, भोजन और हर तरह की चीज़ें मुहैया कराने की भी कोशिश की जो हम दे सकते थे।25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर को समाप्त होने वाली वार्षिक मचैल माता यात्रा रविवार को लगातार चौथे दिन स्थगित रही।
9,500 फुट ऊँचे इस मंदिर तक 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर चिसोती से शुरू होती है।बचाव दल एक दर्जन से ज़्यादा अर्थमूवर और अन्य भारी उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है जबकि एनडीआरएफ ने बचाव अभियान में तेज़ी लाने के लिए डॉग स्क्वॉड सहित अपने संसाधन जुटाए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह