Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
चंडीगढ़, 8 जुलाई (हि.स.)। हरियाणा सरकार ने केंद्र की तर्ज पर एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को लागू कर दिया है। विपक्षी राजनीतिक दलों तथा कर्मचारी संगठनों के विरोध के बावजूद मंगलवार को सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। सरकारी विभागों में तैनात कर्मचारी अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तर्ज पर पहली अगस्त से एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) का विकल्प चुन सकेंगे। यह उनकी मर्जी होगी कि वह राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) चुनते हैं या फिर यूपीएस। हालांकि बोर्ड-निगमों, सार्वजनिक उपक्रमों और विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को अभी यूपीएस के लिए इंतजार करना होगा।
वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने यूपीएस को लेकर आज अधिसूचना जारी कर दी है। इससे सभी सरकारी कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन मिलना सुनिश्चित हो सकेगा। 25 साल की सेवा पूरी कर चुके कर्मचारी को यूपीएस के तहत सेवानिवृत्ति से पहले 12 महीनों के दौरान प्राप्त औसत मूल वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन में मिलेगी। यदि कर्मचारी 10 या इससे अधिक वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होता है तो उसे प्रति माह दस हजार रुपये का न्यूनतम गारंटीकृत भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। पेंशनभोगी की मृत्यु की स्थिति में परिवार को अंतिम आहरित पेंशन राशि का 60 प्रतिशत प्राप्त होगा। यह महंगाई राहत सुनिश्चित पेंशन भुगतान और पारिवारिक पेंशन दोनों पर लागू होगी, जिसकी गणना सेवारत कर्मचारियों पर लागू महंगाई भत्ते के समान ही की जाएगी। महंगाई राहत केवल तभी देय होगी, जब पेंशन भुगतान शुरू हो जाएगा।
अधिसूचना के अनुसार सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त भुगतान की भी अनुमति दी जाएगी, जो अर्हक सेवा के प्रत्येक पूर्ण छह महीने के लिए मासिक परिलब्धियों (मूल वेतन महंगाई भत्ता) का दस प्रतिशत होगा। यह एकमुश्त राशि सुनिश्चित पेंशन भुगतान को प्रभावित नहीं करेगी। वर्तमान नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी दस प्रतिशत अंशदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत योगदान करती है। यूपीएस के तहत सरकार का योगदान बढक़र 18.5 प्रतिशत हो जाएगा।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा