सरिस्का में खनन से टाइगरों को खतरा, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे- पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह
अलवर, 4 जुलाई (हि.स.)। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह ने सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र में खनन को लेकर राज्य की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंद की गई खानों को फिर से चालू करने की
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह


अलवर, 4 जुलाई (हि.स.)। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह ने सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र में खनन को लेकर राज्य की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंद की गई खानों को फिर से चालू करने की तैयारी की जा रही है, जिससे क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ेगा और टाइगर की जान को खतरे में डाला जाएगा।

अलवर स्थित फूलबाग आवास में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरिस्का पर एक बड़े खनन माफिया की नजर है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने जल्दबाजी में रिपोर्ट तैयार की और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तत्काल अनुमति दे दी। उनका कहना था कि मोटी रकम लेकर यह प्रक्रिया पूरी करवाई गई है, जो एक बड़ा भ्रष्टाचार है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को हल्के में नहीं ले रही और जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। पार्टी इस मसले पर एकजुट होकर लड़ाई लड़ेगी।

जितेंद्र सिंह ने कहा कि लगभग 15 साल पहले सरिस्का में टाइगर विलुप्त हो चुके थे, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार ने विशेष प्रयास करते हुए हेलिकॉप्टर से टाइगर लाकर इस अभयारण्य को फिर से आबाद किया था। उन्होंने कहा कि सरिस्का में टाइगर पुनर्वास के लिए 'सरिस्का मॉडल' को देशभर में सराहा गया।

पूर्व मंत्री ने स्पष्ट किया कि जिस क्षेत्र में खनन की अनुमति दी जा रही है, वहां टाइगरों की संख्या पर्याप्त है और देश के किसी भी नेशनल पार्क के 30 किलोमीटर दायरे में खनन की अनुमति नहीं दी जाती। उन्होंने इसे एक खतरनाक उदाहरण और भ्रष्टाचार की मिसाल बताते हुए कहा कि सरकार ने माफिया के दबाव में आकर आनन-फानन में यह फैसला लिया।

इसके साथ ही उन्होंने सिलीसेढ़ से अलवर शहर में पानी लाने की योजना पर भी चिंता जताई और कहा कि स्थानीय जनता को विश्वास में लेकर ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि यह क्षेत्र ड्राई ज़ोन में आता है और विजय मंदिर व जयसमंद जैसी स्थिति सिलीसेढ़ की भी हो सकती है। उन्होंने ईआरसीपी परियोजना के तहत पानी लाने का समर्थन किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल