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गोरखपुर, 31 जुलाई (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग में बृहस्पतिवार को प्रेमचंद और तुलसीदास की जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय तुलसीदास एवं हमारा समय तथा प्रेमचंद का साहित्य और उनकी पत्रकारिता' था।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने तुलसीदास और प्रेमचंद के कृतियों के माध्यम से उनमें समानता का उल्लेख किया। प्रो. गुप्त ने कहा कि किसी रचनाकार को समझने के लिए उनकी चर्चित रचनाओं की अपेक्षा कम चर्चित रचनाओं को पढ़ा जाना चाहिए। इसी क्रम में उन्होंने प्रेमचंद की कहानी अनुभव का जिक्र किया।
इससे पूर्व विभाग के आचार्य प्रो. विमलेश मिश्रा ने कहा कि तुलसीदास और प्रेमचंद दोनों अपने-अपने समय में सच की अभिव्यक्ति की लड़ाई लड़ रहे थे । जहां तुलसीदास लोक जागरण के लिए संघर्षरत थे वही प्रेमचंद नवजागरण के लिए। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. राजेश कुमार मल्ल कहा कि प्रेमचंद और तुलसीदास दोनों को अपने समय में विरोध का सामना करना पड़ा। प्रेमचंद को तो 'घृणा का प्रचारक' भी कहा गया। उन्होंने प्रेमचंद का राम के प्रति अनुराग का उल्लेख करते हुए बताया की प्रेमचंद राम के कर्तव्य निष्ठा से प्रभावित है। दोनों की लेखनी में समय का दुख और जनता का दुख देखने को मिलता है तथा युग की समस्याओं को अपनी लेखनी के माध्यम से उठाना ही उन्हें महान बनाता है। यह दोनों अपने-अपने समय में लोकप्रिय रहे हैं। प्रो. मल्ल ने प्रेमचंद की पत्रकारिता का जिक्र करते हुए उनके द्वारा संपादित 'जागरण' के प्रथम संपादकीय का उल्लेख किया।
कार्यक्रम में पत्रकारिता के शिक्षक डॉ. रजनीश कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि तुलसीदास से बड़ा कोई जनकवि नहीं है। उन्होंने राम कथा को जन-जन तक पहुंचाया जिसके माध्यम से राम के तमाम गुण आम जनता तक संचारित हुए। कार्यक्रम में हिंदी एवं पत्रकारिता के छात्रों हर्षित श्रीवास्तव, दीपक कुमार यादव, विनोद पांडेय, शिवम त्रिपाठी और अवनीश मौर्य ने भी तुलसीदास और प्रेमचंद पर अपने विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ.अखिल मिश्रा ने किया। इस अवसर पर विभाग की शिक्षक डॉ. ऋतु सागर, डॉ. अपर्णा पाण्डेय और डॉ. नरगिस बानो तथा छात्र एवं शोध छात्र उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय